कांग्रेस नेतृत्व का महामंथन कल, कांग्रेस को ऐसा लीडरशिप चाहिए जो पार्टी की ढहती दीवार और मोदी की दहाड़ संभाल सके


पिछले दिनों राजस्थान में अपनी सरकार जैसे-तैसे बचा पाने में सफल हुई कांग्रेस पार्टी उत्साहित जरूर है लेकिन अपने ‘लीडरशिप’ को लेकर चिंता की लकीरें देखी जा सकती है. भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दहाड़ के आगे बौनी नजर आ रही कांग्रेस पिछले छह वर्षों से सिमटती जा रही है.आज हम बात करेंगे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की. कई दिनों से पार्टी के अंदर बागडोर संभालने को लेकर महामंथन चल रहा है.

कल सोमवार को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी में पार्टी के नेताओं में उथल-पुथल मची हुई है.पार्टी के अधिकांश नेता चाहते हैं कि अब उसे अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी जो कांग्रेस की ढहती दीवार और पीएम मोदी के ‘राष्ट्रवाद’ का असर कम कर सके.

पार्टी के कई नेता कांग्रेस की इस चिंता को दूर करने के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष की जरूरत बता रहे हैं. पिछले कई दिनों से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक की तैयारियों में लगी हुई है. बता दें कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पिछले एक साल से मजबूत नेतृत्व का संकट झेल रही है.

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का खराब स्वास्थ्य और बढ़ती आयु और नेताओं, कार्यकर्ताओं को पर्याप्त समय न देना पार्टी अपना बेस खोती जा रही है. पिछले महीनों से पार्टी के अधिकांश नेताओं ने निजी तौर पर और कुछ ने सार्वजनिक रूप से शिकायत की है कि कांग्रेस अपनी छाप खो चुकी है.

यह पीएम मोदी की जुबान से नहीं लड़ सकती. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता अक्सर इस बात पर हैरानी जताते हैं कि यह क्या हो रहा है. शशि थरूर, मनीष तिवारी और राजीव सातव कुछ ऐसे नेता हैं, जिन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई है.


कल होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी में नए अध्यक्ष पद पर लगीं निगाहें
सोमवार को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी में यह संभव है कि राहुल गांधी के पदभार ग्रहण करने के लिए कई नेता आवाज उठाएं.खराब स्वास्थ्य की वजह से सोनिया गांधी बागडोर सौंपना चाहती हैं, लेकिन राहुल अड़े रहे तो क्या होगा ? कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया के सामने समस्या राहुल गांधी के कार्यभार संभालने की अनिच्छा बनी हुई है.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं, नेताओं में पार्टी का नया अध्यक्ष गांधी परिवार से होगा या किसी गैर के हाथों में पार्टी की कमान दी जाएगी, निगाहें लगी हुई हैं. मौजूदा समय में कांगेस पार्टी में कई पुराने नेता असंतुष्ट भी चल रहे हैं इनको भी साधने की जिम्मेदारी गांधी परिवार की होगी.

कांग्रेस में युवा नेताओं के बागी तेवरों के बीच पार्टी में बदलाव की मांग तेज हो गई है. इसके साथ देशभर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का राष्ट्रीय नेतृत्व सही हाथों में न होने पर मोहभंग होता जा रहा है.

कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की है. बदलाव की मांग करने वालों में पांच पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य, सांसद और कई पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं.

बता दें कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफा देने पर सोनिया गांधी ने पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी. बताया जा रहा है कि पार्टी का एक गुट राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाना चाहता है.


मौजूदा समय में कई चुनौतियों के साथ बगावती नेताओं का विरोध भी झेल रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी में इस समय सबसे बड़ी गिरावट देखी जा रही है. जब पार्टी को आजादी के बाद राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर कड़ी चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है.

इसके साथ ही उसे पार्टी के अंदर भी नेताओं को संभालना मुश्किल होता जा रहा है.राहुल गांधी के कभी खास रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था. ऐसे ही मिलिंद देवड़ा, संजय निरुपम, जतिन प्रसाद आदि ऐसे नेता हैं जो समय-समय पर पार्टी के खिलाफ भी आवाज उठाते आ रहे हैं.पार्टी में एक गुट कांग्रेस वर्किंग कमेटी से लेकर सभी स्तरों पर संगठनात्मक बदलाव की मांग कर रहा है.

यही नहीं कांगेस पार्टी से निष्कासित संजय झा ने आज पार्टी को सलाह दे डाली कि राष्ट्रीय नेतृत्व किसी गैर कांग्रेसी के हाथ में दिया जाना चाहिए.यही नहीं पार्टी के दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के मार्गदर्शन को लेकर भी सवाल उठाए हैं.नेताओं ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों से बैठकों में अभी तक कोई नतीजा या निष्कर्ष नहीं निकल पाया है.

सोनिया गांधी को भेजे शिकायती पत्र में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, जितिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा, मनीष तिवारी, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, संदीप दीक्षित सहित कांग्रेस के अन्य युवा ब्रिगेड ने हस्ताक्षर किए हैं. इसमें कहा गया है कि राज्य इकाइयों को सशक्त किया जाना चाहिए, पार्टी को दिल्ली में केंद्रीकृत नहीं किया जाना चाहिए.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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