पढ़े किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई की बड़ी बातें

मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई. इन तीन कानूनों पर साढ़े तीन महीने बाद ब्रेक लग गया है. कोर्ट ने फिलहाल के लिए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है. किसान आंदोलन और सरकार के साथ किसानों के गतिरोध को सुलझाने के लिए अदालत ने 4 सदस्यों की कमिटी भी बना दी है. जितेंद्र सिंह मान (भारतीय किसान यूनियन ) , डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (इंटरनेशनल पॉलिसी हेड), अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी (शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र) इस कमिटी के सदस्य हैं. कृषि कानूनों की वापसी को लेकर देशभर के किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर 49 दिन से आंदोलनरत हैं. इससे पहले बहस के दौरान पिटीशनर वकील एमएल शर्मा ने कहा- ‘सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई जाने वाली कमिटी के सामने पेश होने से किसानों ने इनकार कर दिया है. किसानों का कहना है कि कई लोग चर्चा के लिए आ रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री सामने नहीं आ रहे.’ इस पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा- ‘हम उन्हें नहीं बोल सकते, इस मामले में वे पार्टी नहीं हैं.’ आइए जानते हैं आज की किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई की बड़ी बातें:-
  • सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि जो वकील हैं, उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता कि जब आदेश सही न लगे तो अस्वीकार करने लगें. हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे. हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल है. क़ानूनों के अमल को स्थगित रखना हमारे हाथ में है. लोग बाकी मसले कमिटी के सामने उठा सकते हैं.
  • CJI ने कहा कि अगर बिना किसी हल के आपको सिर्फ प्रदर्शन करना है, तो आप अनिश्चितकाल तक प्रदर्शन करते रहिए. लेकिन क्या उससे कुछ मिलेगा? उससे हल नहीं निकलेगा. हम हल निकालने के लिए ही कमिटी बनाना चाहते हैं.
  • कमिटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, ‘यह कमिटी हमारे लिए होगी. इस मुद्दे से जुड़े लोग कमिटी के सामने पेश होंगे. कमिटी कोई आदेश नहीं देगी, न ही किसी को सजा देगी. यह सिर्फ हमें रिपोर्ट सौंपेगी. हमें कृषि कानूनों की वैधता की चिंता है. साथ ही किसान आंदोलन से प्रभावित लोगों की जिंदगी और संपत्ति की भी फिक्र करते हैं.’
  • कमिटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम अपनी सीमाओं में रहकर मुद्दा सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. यह राजनीति नहीं है. राजनीति और ज्यूडिशियरी में फर्क है. आपको को-ऑपरेट करना होगा.’
  • सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने फिर कहा, ‘हम कृषि कानून का अमल स्थगित करेंगे, लेकिन अनिश्चित काल के लिए नहीं. हमारा मकसद सिर्फ सकारात्मक माहौल बनाना है. उस तरह की नकारात्मक बात नहीं होनी चाहिए जैसी एम एल शर्मा ने आज सुनवाई के शुरू में की. किसानों के वकील शर्मा ने कहा था कि किसान कमिटी के पास नहीं जाएंगे. कानून रद्द हो.
  • कोर्ट ने कहा कि ‘अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमिटी के समक्ष क्यों नहीं? अगर वो समस्या का समाधान चाहते है तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमिटी के समक्ष पेश नहीं होंगे.’
  • कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा, ‘कोई भी ताकत, हमें कृषि कानूनों के गुण और दोष के मूल्यांकन के लिए एक समिति गठित करने से नहीं रोक सकती है. यह समिति न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी. समिति यह बताएगी कि किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए, फिर वो कानूनों से निपटेगा.’
  • पीएस नरसिम्हा ने कोर्ट को बताया कि प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन को शह दे रहे हैं. इसके बाद सीजेआई ने एटॉर्नी जनरल से पूथा कि क्या आप इसकी पुष्टि करते हैं? एटॉर्नी ने कहा कि मैं पता करके बताऊंगा. इसके बाद सीजेआई ने कहा कि आप कल तक इस पर हलफनामा दीजिए. आप इस पहलू पर कल तक जवाब दें.
  • सीजेआई ने कहा कि हम अपने आदेश में कहेंगे कि किसान दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से रामलीला मैदान या किसी और जगह पर प्रदर्शन के लिए इजाजत मांगें. रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है. पुलिस शर्तें रखती है. पालन न करने पर अनुमति रद्द करती है.

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