जानिए क्या है एंग्जाइटी, भारत में आंकड़े, लक्षण, और इसके उपाय

एंग्जाइटी क्या होता है ?
यह एक मानसिक रोग है, जिसमें रोगी को तेज़ बैचेनी के साथ नकारात्मक विचार, चिंता और डर का आभास होता है । जैसे, अचानक हाथ कांपना, पसीने आना आदि । अगर समय पर इसका सही इलाज न किया जाए तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है और मिर्गी का कारण भी बन सकता है । आगे चलकर रोगी अपना अहित भी कर सकता है ।

एंग्जाइटी के भारत में आंकड़े

• यह हैरानी की बात है कि भारत के अलग-अलग महानगरों में लगभग 15.20% लोग एंग्जाइटी और 15.17% लोग डिप्रैशन के शिकार हैं ।
• इसकी एक बहुत बड़ी वजह है नींद का पूरा न होना । लगभग 50% लोग ऐसे हैं जो अपनी नींद को पूरा नहीं कर पाते ।
• स्टडी बताती है कि नींद पूरी न होने से शरीर में 86% रोग बढ़ जाते हैं, जिनमें डिप्रेशन व एंग्जाइटी सबसे ज्यादा हैं ।
• जो देश इस समय विकसित हैं, उनमें भी लगभग 18% युवा एंग्जाइटी के शिकार हैं ।
• पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की एंगजाइटी में आने की संभावना अधिक है ।
• स्टडी बताती है कि 8% युवा एंग्जाइटी या डिप्रैशन के शिकार हैं और जिनमें के शिकार हैं, जिनमें से बहुत कम को ही मानसिक स्वास्थ्य देखभाल मिलती है ।

क्या होती है सामान्य चिंताएं ?

हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कुछ सामान्य चिंताएं ऐसी होती हैं जो आमतौर पर एंग्जाइटी और डिप्रैशन का कारण बनती हैं और कभी-कभी इसके नतीजे भंयकर भी हो सकते हैं ।

• हर महिने बिलों का भुगतान या किश्तें चुकाने की चिंता
• नौकरी या और परीक्षा से पहले की बेचैनी
• स्टेज फियर यानि लोगों के बीच खड़े होने की घबराहट या चिंता ।
• डर का फोबिया, जैसे ऊंचाई, आवारा कुत्ते से काटे जाने का डर, दुर्घटना का डर आदि ।
• किसी के निधन से होने वाला दुख या चिंता ।

एंग्जाइटी लक्षण क्या हैं ?

चिंता कब रोग का रुप ले ले, यह कहना फिलहाल बहुत मुश्किल है । परंतु यदि कोई ऐसी चिंता है जो लंबे वक्त से बनी हुई है तो यह निश्चित है कि वह कोई बड़ा रुप ले सकती है । ऐसी स्थिति में फौरन मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट का परामर्श लेना चाहिए ।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर कईं प्रकार के होते हैं, लेकिन उनके कुछ सामान्य लक्षण हैं –

• दिल की धड़कन का बढ़ जाना या सांस फूल जाना
• मांसपेशियों में तनाव का बढ़ जाना
• छाती में खिंचाव महसूस होना
• किसी के लिए बहुत ज्यादा लगाव होना
• किसी चीज के लिए अनावश्यक आग्रह करना

एंग्जाइटी के कारण क्या हैं ?

मेडिकल फैमिली हिस्ट्री
जिन लोगों के परिवार में पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य संबंधी इतिहास रहा है, संभावना है कि उन्हें कभी भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो सकता है । उदाहरण के लिए ओसीडी, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आता है ।

घटनाएं जो तनाव में रखती हैं
ऑफिस का तनाव, अपने किसी करीबी के मृत्यु का गम, गर्लफ्रैंड से ब्रेकअप आदि भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं ।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
शरीर से संबंधित किसी भी प्रकार का रोग, जैसे थॉयराइड, दमा, शुगर या हृदय संबंधी रोग से भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो सकता है । जो लोग तनाव में हैं वह भी इसकी चपेट में आ सकते हैं । जैसे, अगर कोई व्यक्ति एक लंबे समय से डिप्रेशन को झेल रहा है, तो उसके काम करने के ढंग और तरीके में गिरावट आने लगती है ।

नशे का सेवन
किसी भी प्रकार का दुख भुलाने या उसे कम करने के लिए लोग अक्सर नशे ( शराब, गांजा, अफीम या दूसरे नशे ) का सहारा लेने लगते हैं । परंतु यह कभी भी एंग्जाइटी का इलाज नहीं हो सकता है । बल्कि यह समस्या को बढ़ाने का काम करेगा । जैसे ही नशे का असर खत्म होगा, समस्या पहले से ज्यादा महसूस होगी ।

पर्सनैलिटी संबंधी डिसऑर्डर
कुछ लोग हर चीज को बिल्कुल सही तरीके से करना चाहते हैं, जिन्हें सोसाइटी परफेक्टनिस्ट भी कहती है परंतु यह एक बहुत बड़ी समस्या बन सकती है क्योंकि यह ज़रुरी नहीं कि चीजें उनके हिसाब से हों और जब ऐसा नहीं होता तो वह दिमागी तौर पर चिंता पाल लेते हैं ।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर का इलाज
एंग्जाइटी डिसऑर्डर से निजात पाया जा सकता है । लेकिन इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए । अगर कोई लक्षण नज़र आए तो फौरन डॉक्टरी सलाह लें और इलाज के लिए किसी प्रॉफेश्नल डॉक्टर को दिखाएं । डिप्रैशन या एंग्जाइटी का इलाज दवा, काउंसलिंग या मिले-जुले इस्तेमाल से बेहद आसानी से किया जा सकता है ।

• साइकोथेरेपी का इस्तेमाल करें

आप साइकोथेरेपी की मदद ले सकते है । एंग्जाइटी को दूर करने में साइकोथैरेपी बहुत कारगर साबित हुई है । इस थैरेपी में मन पर नियंत्रण करना सिखाया जाता है । समय के पांबद रहें और हर काम मन लगाकर करें ।

• रोगी को अकेला न छोड़ें

अगर कोई व्यक्ति एंग्जाइटी या डिप्रैशन से जूझ रहा है तो आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप उसे अकेला न छोड़ें । पूरी नींद लें क्योंकि आधी-अधूरी नींद भी एंग्जाइटी का कारण बन सकती है ।

• स्वस्थ आहार खाएं

भरेपूरे और ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फैट वाले आहार का सेवन करें । इसके अलावा अपना भोजन नियमित समय पर खाएं और पूरा खाएं, भोजन छोड़ें नहीं । इसके अलावा बाहर का भोजन, जैसे जंक फूड या तले हुए भोजन से परहेज़ करें ।

• भोजन करने का एक समय बनाएं

किसी भी वक्त भोजन करने की आदत है, तो फौरन इस आदत को बदलें । अनियमित समय पर भोजन करने का असर सीधा मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है । एंग्जाइटी भी इन्हीं में से एक है, इसलिए किसी भी कीमत पर भोजन से समझौता न करें ।

• संगीत सुनें

संगीत स्ट्रैस को न सिर्फ कम करता है बल्कि खत्म कर देता है । संगीत से ब्‍लड़ प्रेशर, हार्ट रेट और तनाव दूर हो जाता है इसलिए जब भी आपको एंग्जाइटी या डिप्रैशन महसूस हो, अपनी पसंद का संगीत सुनें ।

• व्यायाम अवश्य करें

प्रतिदिन 30 मिनट कम से कम व्यायाम अवश्य करें । सुबह और शाम सैर करने की आदत बनाएं और अपनी दिनचर्या में योग को जरूर शामिल करें ।

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