लखीमपुर खीरी हिंसा: योगी सरकार और किसानों में हुआ समझौता लेकिन विपक्ष ‘मिशन 22’ की फील्ड सजा गया

रविवार को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा के बाद यूपी सरकार और किसानों के बीच समझौता हो गया है. ‌लेकिन विपक्षी नेताओं को किसानों की मौत के बाद चंद महीनों में होने जा रहे यूपी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार को घेरने के लिए एक बड़ा हथियार मिल गया है. रविवार को लखीमपुर खीरी में 4 किसानों समेत नौ लोगों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में सियासी तापमान गर्म है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, बसपा और रालोद समेत तमाम राजनीतिक दल के नेता रविवार रात से ही लखीमपुर जाकर मृतकों के परिवार से मिलने के लिए दौड़ लगाने में लगे रहे.

कोई सड़क पर भाग रहा है तो कोई दीवार फांद कर भागा जा रहा था. नेताओं की इस भागदौड़ के पीछे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव है. विपक्षी पार्टी इस घटना के बहाने सत्‍ताधारी बीजेपी को घेरने का मौका नहीं छोड़ना चाहती. प्रशासन की जबरदस्त नाकाबंदी की वजह से कई दलों के नेता सड़क पर ही भाजपा सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए. वहीं दूसरी ओर पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में इस हिंसा के खिलाफ और किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतर आए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव समेत कई नेता हिरासत में लिए गए हैं. शिवपाल घर में नजरबंद किए गए थे, लेकिन वह दीवार फांदकर भाग निकले.

बाद में उन्‍हें भी हिरासत में ले लिया गया। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को भी लखनऊ में घर में नजरबंद किया गया है. हापुड़ में राष्‍ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी के समर्थकों ने टोल प्‍लाजा बैरियर तोड़ दिया. जयंत दौड़ते हुए अपनी गाड़ी में सवार हुए और लखीमपुर खीरी के लिए निकल गए. आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और भीम पार्टी के चंद्रशेखर भी लखीमपुर खीरी जाने के लिए निकले. राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता भी जिले में मौजूद हैं.

उत्तर प्रदेश में चंद महीनों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष किसानों के मुद्दे पर योगी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में जुट गया है. बता दें कि पिछले साल शुरू हुए किसान आंदोलन का प्रभाव अधिकतर पंजाब, हरियाणा और दिल्‍ली-एनसीआर तक सीमित रहा है. पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश की राजनीति पर जरूर उसका असर महसूस किया गया मगर बाकी यूपी में वैसी चर्चा नहीं थी. अब समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, लखीमपुर खीरी में हुई घटना राज्‍य में आंदोलन को रफ्तार देने का मूड बना लिया है. गौरतलब है कि लखीमपुर जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गांव में हुई हिंसा और आगजनी में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है.

खीरी से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के गांव बनबीरपुर में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का पहले से तय कार्यक्रम था. केशव प्रसाद मौर्य के रूट पर कुछ किसान काले झंडे लेकर खड़े थे, तभी एक जीप ने कुछ किसानों को टक्कर मार दी. लखीमपुर खीरी में फैली हिंसा में अब तक कुल 9 लोगों की जान गई. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने उन किसानों पर कार चढ़ाई थी. वहीं दूसरी ओर लखीमपुर में सरकार और किसानों के बीच समझौता हो गया है. सरकार ने मृतकों के परिवार को 45 लाख रुपए का मुआवजा देने का एलान किया है. मरने वालों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी. साथ ही घटना की न्यायिक जांच और 8 दिन में आरोपियों को अरेस्ट करने का वादा भी किया गया है. यह जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे. हिंसा में घायल हुए लोगों को भी 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का एलान किया गया है. किसानों और प्रशासन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में समझौते का एलान किया गया. इसमें किसान नेता राकेश टिकैत और यूपी के एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर प्रशांत कुमार भी मौजूद थे.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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