जन्मदिन विशेष: रेखा की खूबसूरती-दिलकश अदाओं का खुमार प्रशंसकों में चार दशक बाद भी नहीं उतरा

आज संडे है. इस फुर्सत के दिन क्या बात की जाए? आइए खूबसूरती पर ही चर्चा करते हैं. मौका भी है दस्तूर भी. किसी की आंखों की मस्ती भी बुला रही है. आज बात बॉलीवुड निर्देशक मुजफ्फर अली की फिल्म ‘उमराव जान’ के गाने से शुरू करते हैं.

‘इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं, इन आंखों से वाबस्ता अफसाने हजारों हैं, इक तुम ही नहीं तन्हा, उलफत में मेरी रुसवा, इस शहर में तुम जैसे दीवाने हजारों हैं, इन आंखों’… जब इस गाने के बोल सुनाई पड़ते हैं हिंदी सिनेमा की खूबसूरत, दिलकश अदाओं और सदाबहार अभिनेत्री रेखा याद आ जातीं हैं .

वैसे भी रेखा के लिए आज बहुत खास दिन है. रेखा आज अपना 67वां जन्मदिन मना रहीं हैं. अपनी फेवरेट अभिनेत्री के जन्मदिन पर सुबह से ही प्रशंसक सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई शुभकामनाएं संदेश लिख रहे हैं. रेखा 67 साल की जरूर हो गई हैं लेकिन आज भी वो उतनी ही खूबसूरत हैं, जितनी गुजरे जमाने में लगती थी.

रेखा अपने नूर से आज भी बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेस को टक्कर देती हैं. बॉलीवुड में कई बदलाव देखे. लेकिन रेखा की सुंदरता और खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई. उनका जन्म 10 अक्टूबर 1954 में चेन्नई में हुआ था. उन्होंने फिल्मी करियर में कई उतार-चढ़ाव देखें. रेखा की फिल्मों से लेकर व्यक्तिगत जीवन तक कई बार ऐसे मोड़ आए, जब वह टूट गईं .

रेखा अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी सुर्खियों में रहीं हैं. लेकिन उनके जीवन में चल रहे उथल- पुथल का असर कभी भी उनकी फिल्मों में देखने को नहीं मिला. कई फिल्मों में अपनी दमदार अभिनय से उन्होंने प्रशंसकों में अपनी अमिट छाप छोड़ी. उनका फिल्मी करियर बेहतरीन रहा.

फिलहाल इस उम्र में भी रेखा की असल उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा . वह उतनी ही खूबसूरत दिखती हैं, जितना पहले . रेखा की खूबसूरती आज भी लाखों करोड़ों दिलों को अपना दीवाना बना देती है.

रेखा को देखकर हर किसी के मन में एक ही सवाल उठता है कि उम्र के इस पड़ाव में भी कोई इतना खूबूसरत और जवां कैसे हो सकता है. आइए अब जन्मदिवस पर अभिनेत्री रेखा के फिल्मी और निजी जिंदगी को जानते हैं.

रेखा ने साल 1966 में दक्षिण भारतीय फिल्म से की थी शुरुआत
रेखा ने 1966 में दक्षिण भारतीय फिल्म ‘रंगुला रत्नम’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की . उस फिल्म में वह बाल कलाकार थीं. रेखा का असली नाम भानुरेखा गणेशन है लेकिन उन्हें उनके स्टेज नाम रेखा से ही पहचान मिली. 70 के दशक में रेखा का खुमार लोगों के सिर चढ़कर इस कदर बोला कि आज तक उतर नहीं पाया है.

अपने करियर में रेखा ने करीब 175 हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया है, जिनमें ‘खूबसूरत’, ‘खून भरी मांग’, ‘खून और पसीना’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ और ‘उमराव जान’ उनकी बेहद कामयाब फिल्में हैं. वह तीन फिल्मफेयर और एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी हैं. रेखा को भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया गया.

यहां हम आपको बता दें कि रेखा के पिता जेमिनी गणेशन दक्षिण भारतीय अभिनेता थे . उनकी चार शादियां हुईं लेकिन उन्होंने रेखा की मां पुष्पावल्ली को, जो उस समय तेलुगु अभिनेत्री थीं, कभी पत्नी का दर्जा नहीं दिया, इस वजह से उन्होंने रेखा को कभी नहीं अपनाया. अभिनेत्री रेखा अपने पिता के करीब कभी नहीं रही. पिता जेमिनी गणेशन की मृत्यु तक रेखा के साथ मनमुटाव बनी रहे.

अमिताभ बच्चन और रेखा की प्रेम कहानी देशभर में सुर्खियों में रही
80 के दशक में बॉलीवुड अभिनेत्री रेखा शादी और प्रेमप्रसंगों को लेकर भी सुर्खियों में रही. रेखा का नाम लंबे समय तक अभिताभ बच्चन के साथ जुड़ता रहा. हालांकि रेखा की जिंदगी में नवीन निश्चल, जितेंद्र, विनोद मेहरा, विश्वजीत और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे अभिनेता आए जिनसे उनके अफेयर चर्चा में रहे.

लेकिन सुपरस्टार अमिताभ बच्चन से उनका रिश्ता सबसे ज्यादा चर्चित हुआ. दोनों ने कभी भी इस बारे में खुलकर बात नहीं की. दोनों के बीच क्या था यह आज भी एक रहस्य है. जब किसी समारोह में रेखा और अमिताभ बच्चन होते हैं तो लोगों की नजर उन पर ही होती है. दोनों की जोड़ी पर्दे पर भी काफी लोकप्रिय रही.

दोनों ने ‘ईमान धरम’, ‘गंगा की सौगंध’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ और ‘सुहाग’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया. आखिरी बार फिल्म ‘सिलसिला’ में साथ काम किया था. इस फिल्म में जया बच्चन भी थी. यश चोपड़ा की ‘सिलसिला’ अमिताभ और रेखा की एक साथ आखिरी फिल्म थी, ये कहानी असल में दोनों की कहानी से प्रेरित है.

रेखा आज भी सिंदूर लगाती हैं. साल 1990 में रेखा ने दिल्ली के उद्योगपति मुकेश अग्रवाल से शादी की थी, हालांकि यह शादी ज्यादा दिन नहीं टिकी और दोनों का तलाक हो गया. बाद में मुकेश अग्रवाल ने आत्महत्या कर ली थी. लेकिन रेखा आज भी सिंदूर लगाती हैं. वह सिंदूर क्यों लगाती हैं इसका रहस्य आज तक किसी को नहीं पता चल पाया.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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