पढ़ें केजरीवाल की याचिका के फैसले से जुड़ी कुछ बड़ी बातें

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ये याचिका जमानत के लिए नहीं बल्कि हिरासत को चुनौती दी गई है याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी गिरफ्तारी गलत है|

एकत्रित सामग्री से पता चलता है कि केजरीवाल ने दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची और रिश्वत लेने और अपराधिक आय जुटाने में सक्रिय रूप से शामिल थे| केजरीवाल बतौर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक कथित तौर पर 2 तरह से इस पूरे मामले में शामिल थे| वह व्यक्तिगत रूप से शराब नीति बनाने और रिश्वत के पैसे जुटाने में शामिल थे|

गवाहों के बयान अदालत के समक्ष दर्ज किए गए थे| अप्रूवर के बयानों और माफी देने पर सवाल उठाना न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने जैसा होगा| व्यक्ति के सुविधा के अनुसार नहीं चल सकती है, जांच के दौरान किसी के घर जा सकती है|

गिरफ्तारी की वैधता पर HC ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है| गिरफ्तारी और रिमांड के कानून पर विचार करते हुए केजरीवाल कि गिरफ़्तारी कि जांच करनी होगी
केजरीवाल की चुनाव की घोषणा के बाद हुई गिरफ्तारी वाले तर्क पर कहा कि इस तर्क को स्वीकार करने का मतलब होगा कि अगर चुनाव के समय गिरफ्तारी नहीं हुई होती तो तो इसे चुनौती नहीं दी जा सकती थी|

कोर्ट ने कहा कि ईडी के पास बहुत सारे सबूत हैं इसमें हवाला डीलरों के बयान, अप्रूवर्स के बयान, इसके अलावा आम आदमी पार्टी के सदस्यों के बयान भी मौजूद है जिन्होंने कहा है कि उसे गोवा चुनाव में खर्च के लिए पैसे दिए गए थे यह गोवा चुनाव के संबंध में मनी ट्रेल को पूरा करता है|
केजरीवाल की गिरफ्तारी कानून का उल्लंघन नहीं है और दिल्ली सीएम के रिमांड को अवैध नहीं कहा जा सकता है|

हाई कोर्ट ने कहा याचिकर्ता मनी लॉन्ड्रिंग केस मामले में गिरफ्तार हुए है मुख्यमंत्री समेत किसी को भी कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता, जांच और पूछताछ के मामले में कोई व्यक्ति भले ही सीएम क्यों न हो, उसे विशेष छूट नहीं दी जा सकती है|

हाईकोर्ट ने केजरीवाल की उस दलील को भी नकार दिया कि उनसे पूछताछ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी हो सकती थी हाई कोर्ट ने कहा ED गिरफ्तारी का समय तय करती है|

केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ दलील पर हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी के पास पर्याप्त सामग्री थी, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा,उनके पूछताछ में शामिल न होने से साबित होता कि जेल में बंद अन्य लोगों पर इसका असर पड़ता. यह एक सहायक कारक था|

हाईकोर्ट ने कहा कि जज कानून से चलते हैं, राजनीति से नहीं, निर्णय कानूनी सिद्धांतों पर लिखे जाते हैं, न कि राजनीतिक संबद्धता पर, कानूनी निर्णय के दायरे में, अदालतों को केवल कानून की व्याख्या करने का काम सौंपा गया है, न कि राजनीति में जाने का|

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