अजा एकादशी 2020 : जानें एकादशी व्रत की पूजा विधि व मुहूर्त

हिंदु कैलेंडर के हिसाब से प्रत्येक चंद्रमास में दो पक्ष होते हैं एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष. दोनों पक्षों में पंद्रह तिथियां होती हैं. कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक रहता है तो शुक्ल पक्ष की शुरुआत अमावस्या के बाद प्रतिपदा को चंद्र दर्शन के साथ होती है और पूर्णिमा तिथि के समाप्त होने के साथ ही शुक्ल पक्ष भी समाप्त हो जाता है. दोनों पक्षों की दोनों तिथियों में दो एकादशियां आती हैं. हर मास की एकादशियों का अपना अलग महत्व होता है और उनकी महिमा का गुणगान करती अलग-अलग कथाएं भी धार्मिक ग्रंथों में मौजूद हैं. कुल मिलाकर वर्ष के 12 महीनों में एकादशियों की संख्या 24 होती है लेकिन मलमास जिसे अधिकमास भी कहा जाता है के होने से इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का महत्व भी धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. आइये जानते हैं इस एकादशी की कथा व महत्व को.

अजा एकादशी व्रत महत्व
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है. युद्धिष्ठिर जब भगवान श्री कृष्ण से एकादशी व्रत की कथाओं को सुन रहे थे तो उन्हें जिज्ञासा हुई कि भाद्रपद की कृष्ण एकादशी को क्या कहते हैं और इसका माहात्म्य क्या है? उन्होंनें अपनी जिज्ञासा प्रभु के सामने रखी तो भगवान मधुसूदन ने कहा इसका नाम अजा एकादशी है और जो भी इस एकादशी का व्रत विधिनुसार रखता है वह सब प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है और इस दिन भगवान ऋषिकेष की पूजा कर वह मोक्ष को पा लेता है.

अजा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के बारे में तो लगभग पूरा हिंदुस्तान जानता है. लोक कथाओं से लेकर लोकनाट्यों तक के जरिये जन-जन ने हरिश्चंद्र के दुख को महसूस किया. कर्त्वयपरायणता का पाठ हरिश्चंद्र की कथा से आज भी मिलता है. तो अजा एकादशी की कथा इन्हीं सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथा है. बात सतयुग की है राजा हरिश्चंद्र बहुत ही सत्यवादी और चक्रवर्ती राजा हुआ करते थे. उनके दरबार से कोई खाली नहीं जाता था. एक बार ऋषि विश्वामित्र ने उनकी परीक्षा लेने की सोची उन्होंनें हरिश्चंद्र से सारा राज-पाट मांग लिया. अब हरिश्चंद्र बिल्कुल कंगाल हो गये बात यहीं खत्म नहीं हुई विश्वामित्र ने उनसे स्वर्ण मुद्राएं मांग ली जिन्हें देने का वचन वे भूलवश दे बैठे. जब विश्वामित्र ने उन्हें याद दिलाया कि राज-पाट तुम पहले ही सौंप चुके हो तो अब मुद्राएं कैसे दोगे तो हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी और पुत्र को गिरवी रख दिया लेकिन फिर भी मुद्राएं पूरी नहीं हुई फिर उन्होंनें खुद को भी एक चांडाल का दास बनना स्वीकार किया और महर्षि की मुद्राएं पूरी की. लेकिन उसके कष्टों की कहानी यहां खत्म नहीं हुई.

हरिश्चंद्र शमशान में मृतकों के परिजनों से दाह संस्कार के बदले कर वसूली करने के काम को करता था. कई बार उनके सामने धर्मसंकट की स्थिति भी बनी लेकिन वे सत्य और कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं हुये. उधर हरिश्चंद्र की पत्नी को माली के यहां काम करना पड़ा एक दिन की बात है बगीचे में खेल रहे पुत्र रोहिताश को सांप ने काट लिया जिससे उसकी वहीं पर मृत्यु हो गई. वह रोती बिलखती पुत्र के शव को लेकर शमशान में पंहुची तो पुत्र की लाश को देखकर हरिश्चंद्र का कलेजा भी भर आया. सारा वृतांत सुनकर हरिश्चंद्र ने कहा कि मैं अपने कर्तव्य में बंधा हुआ जो भी यहां दाह संस्कार के लिये आता है उसे कर के रुप में कुछ न कुछ देना पड़ता है. तुम्हारे पास क्या है. उस बेचारी के पास अपने पुत्र की लाश के अलावा क्या था. यह दिन भाद्रपद की कृष्ण एकादशी का था दोनों के सुबह से कुछ भी खाया नहीं था. अपने हालातों पर दोनों भगवान से प्रार्थना कर रहे थे. जब हरिश्चंद्र ने दाह संस्कार नहीं करने दिया तो रानी ने अपनी आधी साड़ी चीर कर हरिश्चंद्र को कर के रुप में दी. उधर प्रभु भी यह सब कुछ देख रहे थे तो हरिश्चंद्र की कर्तव्य परायणता को देखकर उन्होंनें उनके पुत्र को जीवित कर दिया और फिर से हरिश्चंद्र को राज-पाट भी लौटा दिया. तो इस प्रकार अजा एकादशी के व्रत से हरिश्चंद्र के समस्त दु:खों का निवारण हो गया. इस एकादशी की कथा के बारे में मान्यता है कि इस कथा के सुनने मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है.

अजा एकादशी व्रत में रखें ये सावधानियां
अजा एकादशी के महत्व और कहानी के बारे में आप जान चुके हैं लेकिन इस व्रत के दौरान कुछ सावधानियां भी जरुर बरतनी चाहिये अन्यथा व्रत का फल अपेक्षानुसार नहीं मिलता. दशमी तिथि की रात्रि में मसूर की दाल नहीं खानी चाहिये और ना ही चने या चने के आटे से बनी चीजें खानी चाहियें. शाकादि भोजन, शहद आदि खाने से भी बचना चाहिये. ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिये.

अजा एकादशी व्रत पूजा विधि

एकादशी के दिन व्रती को प्रात:काल में उठकर नित्यक्रिया से निपटने के बाद घर की साफ-सफाई करनी चाहिये. इसके बाद तिल व मिट्टी के लेप का इस्तेमाल करते हुए कुशा से स्नान करना चाहिये. स्नानादि के पश्चात व्रती को भगवान श्री हरि यानि कि विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिये. पूजा करने से पहले घट स्थापना भी की जाती है जिसमें कुंभ को लाल रंग के वस्त्र से सजाया जाता है और स्थापना करने के बाद कुंभ की पूजा की जाती है. तत्पश्चात कुंभ के ऊपर श्री विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित कर उनके समक्ष व्रती संकल्प लेते हैं फिर धूप, दीप और पुष्पादि से श्री हरि की पूजा की जाती है. लेकिन यदि आपको जीवन में काफी संघर्ष और कष्टों से गुजरना पड़ रहा है तो इसके उपाय के लिये आपको विद्वान ज्योतिषाचार्यों से परामर्श लेना चाहिये जो कि अब बहुत ही सरल हो गया है.

अजा एकादशी 2020 व्रत तिथि व मुहूर्त

अजा एकादशी व्रत तिथि – 15 अगस्त 2020, दिन शनिवार

पारण का समय – 05:51 से 08:29 (16 अगस्त 2020)

एकादशी तिथि आरंभ – 14:01 बजे (14 अगस्त 2020) से

एकादशी तिथि समाप्त – 14:20 बजे (15 अगस्त 2020)

Related Articles

Latest Articles

हिमाचल में बदला मौसम, स्पीति वैली ऊंची चोटियों पर बर्फबारी, मनाली-लेह मार्ग हुआ बंद

0
हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में मौसम के द्रास्तिक परिवर्तन के साथ ही जनजातियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मौसम...

आईपीएल 2024: 1 मई से पर्यटकों के लिए बंद होगा धर्मशाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम

0
धर्मशाला के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में आईपीएल मैचों की तैयारियाँ अब तक पूरी हो चुकी हैं, जिसके चलते 1 मई से पर्यटकों को स्टेडियम...

उत्तराखंड: आने वाले तीन महीने गर्मी छूटेंगे पसीने, औसत तापमान रहेगा ज्यादा

0
प्रदेश में आने वाले तीन महीनों में गर्मी के मौसम का संभावित आगमन है, जिससे लोगों को अधिक पसीने का सामना करना पड़ेगा। मौसम...

उत्तराखंड में बेकाबू हो रही वनाग्नि, अब वायुसेना के हेलीकॉप्टर से मदद

0
उत्तराखंड में बीते 24 घंटे में 31 स्थानों पर वनाग्नि के नए मामले सामने आए हैं. वन विभाग के मुताबिक, शुक्रवार को भी वनाग्नि...

IPL 2024 PBSK Vs KKR: पंजाब किंग्स ने सबसे बड़ा स्कोर चेज कर रचा...

0
पंजाब किंग्स ने इतिहास रच दिया है. उसने आईपीएल के 17वें सीजन में सबसे बड़े स्कोर को चेज किया है. पंजाब के इतिहास का...

मणिपुर में हिंसा का दौर जारी, सीआरपीएफ पर घात लगाकर हमला-दो दवान शहीद

0
मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है. कुकी उग्रवादियों ने शुक्रवार को आधी रात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पर घात लगाकर हमला किया. इस...

सीमा हैदर के ​पति गुलाम हैदर की भारत आने की संभावना, कोर्ट ने दिया...

0
सीमा हैदर के ​पति गुलाम हैदर के पाकिस्तान से भारत आने की संभावना है. आपको बात दें कि पति गुलाम हैदर ने सीमा हैदर,...

राशिफल 27-04-2024: आज इन राशियों पर रहेगी शनिदेव की विशेष कृपा

0
मेंष: किसी भी तरीके की शारीरिक स्वास्थ्य संबंधित चीजों में रिस्क मत लीजिएगा. वाहन धीरे चलाएं. प्रेम-संतान का साथ है. व्यापार भी सही है....

27 अप्रैल 2024 पंचांग: जानें आज का शुभ मुहूर्त, कैलेंडर-व्रत और त्यौहार

0
आपके लिए आज का दिन शुभ हो. अगर आज के दिन यानी 27 अप्रैल 2024 को कार लेनी हो, स्कूटर लेनी हो, दुकान का...

उत्तराखंड में आम आदमी को बड़ा झटका, बिजली दरों में सात प्रतिशत की वृद्धि

0
उत्तराखंड में आम आदमी को बड़ा झटका लगा है. उत्तराखंड में बिजली दरों में सात प्रतिशत की वृद्धि की गई है.नियामक आयोग द्वारा आज...