सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य जस्टिस सुधांशु धूलिया और गुजरात हाईकोर्ट के जज जमशेद बी परदीवाला शीर्ष अदालत के जज के रूप में शपथ दिलाई. दोनों जजों के शपथ लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 हो गई है और अब कोर्ट अपनी पूरी ताकत से काम करेगी.
न्यायमूर्ति धूलिया उत्तराखंड हाई कोर्ट के दूसरे न्यायाधीश होंगे, जिन्हें पदोन्नत करके शीर्ष अदालत भेजा जाएगा, जबकि न्यायमूर्ति परदीवाला पारसी समुदाय से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचने वाले चौथे न्यायाधीश होंगे.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जस्टिस सुधांशु धूलिया और गुजरात हाईकोर्ट के जज जमशेद बी परदीवाला की नियुक्ति की सिफारिश की थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने दोनों के नामों पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी है. जस्टिस धूलिया के सुप्रीम कोर्ट में आने के बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति नोंगमीकापम कोटिस्वर सिंह को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है.
जस्टिस सुधांशु धूलिया उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक सुदूर गांव मदनपुर के रहने वाले हैं. वह सैनिक स्कूल, लखनऊ के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और कानून की पढ़ाई की है. दूसरी पीढ़ी के कानूनी पेशेवर, न्यायमूर्ति धूलिया 1986 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार में शामिल हुए और 2000 में अपने गृह राज्य उत्तराखंड में स्थानांतरित हो गए. वह उत्तराखंड हाईकोर्ट में पहले मुख्य स्थायी वकील थे, और बाद में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता बने.
उन्हें 2004 में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था. उन्हें नवंबर 2008 में उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और बाद में वह 10 जनवरी, 2021 को असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने.
जस्टिस परदीवाला का जन्म 12 अगस्त 1965 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृह नगर वलसाड (दक्षिण गुजरात) के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में पूरी की. उन्होंने जेपी आर्ट्स कॉलेज, वलसाड से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1988 में के. एम. मुलजी लॉ कॉलेज, वलसाड से लॉ की डिग्री प्राप्त की. न्यायमूर्ति परदीवाला ने 1990 में गुजरात हाईकोर्ट में कानूनी प्रैक्टिस शुरू की.
उन्हें 1994 में बार काउंसिल ऑफ गुजरात के सदस्य के रूप में चुना गया था. उन्हें वर्ष 2002 में गुजरात हाईकोर्ट के लिए स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्होंने 17 फरवरी, 2011 को बेंच में उनकी पदोन्नति की तारीख तक कार्यालय का पद संभाला था.