शिक्षक दिवस विशेष: महान शिक्षाविद और पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षकों के योगदान को देशभर में बढ़ाया

आज शिक्षक दिवस (टीचर्स डे) पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. यह एक ऐसा दिवस है जो सीधे ही शिक्षक और विद्यार्थियों से जुड़ा हुआ है. विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों की दी गई ‘शिक्षा’ जीवन भर काम आती है. शिक्षा ही एक मात्र ऐसा हथियार है तो समाज, देश व दुनिया को बदल सकता है, शिक्षक के आशीर्वाद से ही हम अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर बढ़ते हैं.

भारत की संस्कृति में गुरु-शिष्य की परंपरा का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. प्राचीन काल से ही गुरुओं का बच्चों के जीवन में बड़ा योगदान रहा है.‌ गुरुओं से मिला ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं. देश में हर साल 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है. इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थी शिक्षकों का सम्मान करते हैं. केंद्र सरकार हर साल ऐसे शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करती है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और देश में शिक्षा की समग्र बेहतरी की है.

बता दें कि देश में शिक्षक दिवस प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन साल 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे थे. वे स्वयं ही एक महान शिक्षक थे.‌‌ उनका व्यक्तित्व श्रेष्ठ था. ये उनके ही विचार थे कि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए.

बता दे कि 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु में जन्मे डॉ. राधाकृष्णन को भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद्, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक के तौर पर जाना जाता है. पूरे देश को अपनी विद्वता से अभिभूत करने वाले डॉ राधाकृष्णन को भारत सरकार ने सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था.

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मनाया जाता है शिक्षक दिवस
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक विद्वान शिक्षक थे. उन्होंने अपने जीवन के चालीस वर्ष एक शिक्षक के रूप में भारत के भविष्य को बेहतर बनाने में लगाया था. उनके शिक्षक के रूप में दिए गए योगदान को हमेशा याद रखने के लिए हर साल उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

डॉ राधाकृष्णन जब भारत के राष्ट्रपति बने तो कुछ दोस्त और पूर्व छात्र उनसे मिलने पहुंचे. यहां उन्होंने सर्वपल्ली राधाकृष्णन से उनका जन्मदिन भव्य तरीके से मनाने की अनुमति मांगी तो, डॉ राधाकृष्णन ने कहा कि मेरे जन्मदिन को अलग तरीके से मनाने के बदले अगर 5 सितंबर के दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो उन्हें बहुत खुशी और गौरव होगा. उसके बाद से ही 5 सितंबर के दिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का प्रचलन शुरू हुआ, जो आज तक चला आ रहा है.

जबकि संयुक्त राष्ट्र की ओर से 5 अक्टूबर के दिन को भारत में नहीं मनाया जाता जो कि विश्व शिक्षक दिवस के रूप में जाना जाता है. शिक्षक दिवस सभी शिक्षकों और गुरुओं को समर्पित है. इस दिन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है. भारत में शिक्षक दिवस शिक्षकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को अर्पित करने का उत्सव और अवसर है. वे हमें जीवन विपरीत परिस्थितियों का सामना करना सिखाते हैं.

–शंभू नाथ गौतम

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