भारत ने शनिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की ओर से ईरान पर हाल ही में इजराइली हमलों की निंदा करने वाले बयान से खुद को दूर रखा है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, शंघाई सहयोग संगठन ने इजराइल और ईरान के बीच हाल के घटनाक्रमों पर बयान जारी किया है. भारत एससीओ बयान को लेकर चर्चा में शामिल नहीं हुआ है. इस दौरान बयान में कहा गया, “हम आग्रह करते हैं कि तनाव कम करने को लेकर बातचीत और कूटनीति का उपयोग किया जाना चाहिए. यह बेहद जरूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय उस दिशा में कोशिश करे.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल में हुई बातचीत को लेकर अपने ईरानी समकक्ष को भारत की चिंताओं से अवगत कराया. विदेश मंत्रालय के अनुसार, जयशंकर ने बढ़ते तनाव को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की गहरी चिंता को सामने रखा. आगे की इसमें किसी तरह की बढ़ोतरी से बचने को लेकर कूटनीतिक जुड़ाव पर लौटने की जरूरत पर फोकस किया.
एससीओ के बयान को लेकर ईरानी क्षेत्र पर इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की गई. इसे “ऊर्जा और परिवहन बुनियादी ढांचे समेत नागरिक लक्ष्यों के खिलाफ बताया गया. इसकी वजह से नागरिकों की जिंदगियां गईं. यह अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया गया. इसे शांतिपूर्ण और कूटनीतिक तरीकों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के करीब तनाव को हल करने को लेकर अपने समर्थन की पुष्टि की. ईरानी लोगों और सरकार के प्रति संवेदना व्यक्त की. हालांकि, भारत ने 13 जून को पहली बार व्यक्त किए गए अपने स्वतंत्र रुख को दोहराया. इसमें संयम, संवाद और कूटनीति पर जोर दिया.
संवाद और कूटनीति का सहारा लेना चाहिए
विदेश मंत्रालय के बीते बयान के अनुसार, “भारत दोनों पक्षों से किसी भी तरह के तनाव को बढ़ाने वाले कदम से बचने का आग्रह किया है. इसके लिए संवाद और कूटनीति का सहारा लेना चाहिए. मंत्रालय के अनुसार, ईरानी समकक्ष से बात हुई. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की गहरी चिंता से अवगत कराया गया. आगे तनाव को रोकने और कूटनीतिक प्रक्रियाओं पर वापस आने की जरूर है. इस दौरान भारत ने दोनों देशों के संग अपने “घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों” का हवाला दिया. उसने शांति के प्रयासों को बढ़ाने की बात कही. विदेश मंत्रालय के अनुसार, ईरान और इजराइल भारतीय समुदाय के पक्ष में है. नागरिकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है.