गंगटोक| सिक्किम के रास्ते कैलाश मानसरोवर के लिए श्रद्धालुओं का जत्था रवाना हो गया है. देशभर से आए 35 श्रद्धालुओं ने सोमवार को गंगटोक से नाथुला के रास्ते 18वें माइल अनुकूलन केंद्र के लिए यात्रा शुरू की. कैलाश मानसरोवर के श्रद्धालुओं को भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस और सिक्किम पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों ने सोमवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
35 श्रद्धालु रविवार शाम को गंगटोक पहुंचे. ये श्रद्धालु 20 जून को तिब्बत में प्रवेश करेंगे. नाथुला के रास्ते तिब्बत में प्रवेश से पहले 18वें माइल और शेरथांग में दो अनुकूलन केंद्रों पर ठहरेंगे.
सिक्किम पर्यटन विकास निगम के सीईओ राजेंद्र छेत्री ने कहा, आईटीबीपी की ओर से ब्रीफिंग की गई है. उन्हें दिल्ली से लेकर नाथुला तक यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में बहुत गर्व है. इस बैच में 35 यात्री हैं. उनके साथ एक डॉक्टर भी है, जो आईटीबीपी से हैं. इससे कुल संख्या 36 है.
इस साल कैलाश मानसरोवर के लिए 15 बैच रवाना होने हैं, जिसमें हर बैच में 50 यात्री शामिल रहेंगे. 5 बैच उत्तराखंड राज्य से लिपुलेख दर्रे को पार करते हुए और 10 बैच सिक्किम से नाथुला दर्रे को पार करते हुए यात्रा करेंगे. यात्रा जून से अगस्त 2025 के दौरान आयोजित की जाएगी.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, केएमवाईडॉटजीओवीडॉटइन वेबसाइट पर आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं. साल 2015 के बाद से ऑनलाइन आवेदन होते हैं. कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के जरिए ही यात्रियों के रूट और बैच तय होते हैं, जिसमें बाद में आमतौर पर बदलाव नहीं होता. हालांकि जरूरी होने पर चयनित यात्री बैच में परिवर्तन के लिए अनुरोध कर सकते हैं, लेकिन ये परिवर्तन खाली स्थान उपलब्ध होने पर ही किया जाता है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा अपने धार्मिक मूल्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है. भगवान शिव के निवास के रूप में हिंदुओं के लिए ये महत्वपूर्ण स्थान है. जैन और बौद्ध अनुयायियों के लिए भी कैलाश मानसरोवर यात्रा का धार्मिक महत्व है.