शुक्रवार गुजरात में भूपेंद्र सरकार के नए मंत्रिमंडल ने शपथ ले ली है. इस दौरान 25 नए मंत्री बनाए गए हैं. इसके साथ ही चुनाव से दो साल पहले सीएम भूपेंद्र पटेल ने अपना नया कैबिनेट तैयार कर लिया है. बता दें कि इससे पहले भूपेंद्र कैबिनेट के सभी 16 मंत्रियों से इस्तीफा मांग लिया गया था. इन सभी के रिजाइन करने के बाद शुक्रवार को 25 नए मंत्रियों ने शपथ ली. लेकिन अचानक मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने आखिर क्यों अपनी पूरी कैबिनेट ही बदल दी है. आखिर इसके पीछे बीजेपी की रणनीति क्या है. ये आगामी चुनाव की प्लानिंग है या फिर कोई और बात?
बीजेपी ने अचानक क्यों लिया बड़ा फैसला?
दरअसल गुजरात में पूरी कैबिनेट बदलने के चलते सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है कि आखिर बीजेपी को ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि आनन-फानन में नया मंत्रिमंडल बनाया गया. बीजेपी की भूपेंद्र सरकार ने 25 मंत्री बनाए हैं, इनमें हर्ष संघवी को डिप्टी सीएम बनाया गया है. वहीं रिवाबा जडेजा से लेकर जितेंद्रभाई मेघवानी को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. लेकिन सवाल वहीं कि आखिर क्यों भूपेंद्र भाई पटेल ने बदल डाली पूरी कैबिनेट.
स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी
गुजरात में कैबिनेट एक्सपांशन के पीछे कई वजह हो सकती है. दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ निकाय चुनाव में भी बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. खास तौर पर जिस तरह बीते कुछ वक्त में आम आदमी पार्टी अपना दखल बढ़ाने में जुटी है.
इन बड़े शहरों में होने वाले हैं निकाय चुनाव
निकाय चुनाव की बात करें तो अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जूनागढ़ और गांधीनगर जैसे बड़े शहरों में निकाय चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों को ‘मिनी विधानसभा चुनाव’ की तरह देखा जाता है. बीजेपी की कोशिश है कि शहरी वोटरों में अपना प्रभाव बरकरार रखा जाए. नई टीम के जरिए पार्टी एक फ्रेश और गतिशील चेहरा जनता के सामने पेश करना चाहती है.
2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति
भाजपा पहले भी यह प्रयोग कर चुकी है. 2021 में विजय रूपाणी सरकार को हटाकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था. इस रणनीति ने 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को शानदार जीत दिलाई थी. उसी तर्ज पर अब 2027 के लिए पूरी तरह नई और संतुलित टीम तैयार की गई है ताकि एंटी-इनकंबेंसी का असर खत्म किया जा सके.
सामाजिक और राजनीतिक संतुलन का ध्यान
नई कैबिनेट में जातीय संतुलन भी बखूबी साधा गया है. इसमें – 3 अनुसूचित जाति, 4 अनुसूचित जनजाति, 9 ओबीसी, 7 पाटीदार नेताओं को शामिल किया गया है. इसके साथ ही 3 महिलाएं भी मंत्रिपरिषद में जगह पा रही हैं, जिससे महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ावा मिला है. कांग्रेस से बीजेपी में आए एक नेता को भी मंत्री बनाया गया है, जो राजनीतिक संकेत देता है कि पार्टी सीमाओं से ऊपर उठकर योग्य चेहरों को मौका दे रही है.