मुंबई: 1993 मुंबई बम धमाकों से जुड़े विशेष TADA कोर्ट ने आरोपियों की याचिकाएँ खारिज कर दी हैं, जिनमें उन्होंने सह-आरोपियों द्वारा पहले दिए गए कबूलनामा बयान (confessional statements) को अपने खिलाफ इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की थी।
इन आरोपियों — जोशेब कुरेशी और युसूफ इस्माइल शेख — ने तर्क किया कि उनके साथ उन आरोपियों को मुकदमे में शामिल नहीं किया गया है, जिनके कबूलनामों पर यह मामला आधारित है, इसलिए वह साक्ष्य उनके खिलाफ मान्य नहीं हो सकते।
कोर्ट ने कहा कि पहले से तय किए गए न्यायिक आदेशों को दोबारा नहीं खोलना चाहिए और सह-आरोपियों के कबूलनामे पर्याप्त साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किए जा सकते हैं। विशेष न्यायाधीश V. D. केदार ने यह स्पष्ट किया कि मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश बदलने से कानूनी स्थिति नहीं बदलती।
इस मुकदमे की तीसरी चरण की सुनवाई हो रही है, जिसमें एक सेट आरोपियों के खिलाफ पहला मुकदमा पहले हो चुका है। इस धमाका घटना में लगभग 257 लोगों की जान गई थी और 713 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।