मध्य प्रदेश में एक बड़े वेतन घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें लगभग 50,000 सरकारी कर्मचारियों को पिछले छह महीनों से वेतन नहीं मिला है। ये कर्मचारी सरकारी रिकॉर्ड में नाम और कर्मचारी कोड के साथ पंजीकृत हैं, लेकिन दिसंबर 2024 से उनकी वेतन प्रक्रिया नहीं हुई है। इससे ₹230 करोड़ के संभावित घोटाले की आशंका जताई जा रही है।
राज्य के कोष और लेखा विभाग के आयुक्त ने 23 मई को सभी ड्राइंग और डिस्बर्सिंग अधिकारियों (DDOs) को पत्र भेजकर इस अनियमितता की जांच करने का निर्देश दिया। इस पत्र में कहा गया है कि इन कर्मचारियों की जानकारी IFMIS प्रणाली में अधूरी है और उनका ‘एग्जिट’ प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। इस कारण, 6,000 से अधिक DDOs की भूमिका की जांच की जा रही है और उन्हें 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
इन 50,000 कर्मचारियों में से 40,000 नियमित और 10,000 अस्थायी कर्मचारी हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कर्मचारियों में से किसी ने भी वेतन न मिलने की शिकायत नहीं की है, जिससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि ये ‘घोस्ट’ कर्मचारी हो सकते हैं। वर्तमान में, राज्य सरकार इस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि दोषियों की पहचान की जा सके और आवश्यक कार्रवाई की जा सके।