ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 16 बिस्तरों वाली कोरोनरी केयर यूनिट (CCU) के निर्माण में 97 लाख रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया है। सीबीआई ने इस मामले में पूर्व निदेशक डॉ. रवि कांत, पूर्व प्रोफेसर डॉ. राजेश पसरीचा और स्टोरकीपर रूप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
जांच में पाया गया कि 2017 में स्वीकृत इस परियोजना के लिए 8 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई, लेकिन CCU कभी कार्यशील नहीं हो पाई। मार्च में की गई संयुक्त जांच में पाया गया कि आवश्यक उपकरण या तो अनुपलब्ध थे या मानक के अनुरूप नहीं थे, और 2.73 करोड़ रुपये के सिविल कार्य भी अधूरे थे। इसके बावजूद, दिल्ली स्थित आपूर्तिकर्ता को 8.08 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
मूल निविदा फाइल भी गायब पाई गई। डॉ. राजेश पसरीचा पर आपूर्ति की संतोषजनक डिलीवरी और इंस्टॉलेशन की गलत प्रमाणन करने का आरोप है, जबकि निविदा शर्तों के अनुसार एकल डिलीवरी की आवश्यकता थी। यह मामला भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। इससे पहले, 2022 में भी AIIMS ऋषिकेश में उपकरण आपूर्ति और अन्य निविदाओं में अनियमितताओं के मामले सामने आए थे, जिनमें लगभग 4.41 करोड़ रुपये की हानि का अनुमान था।