आत्मशांति: हिंदू शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष के दौरान शुभ कार्य नहीं किया जाता

श्राद्ध पक्ष में पितृ अपने परिजनों के आसपास रहते हैं. इसलिए इन दिनों कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे पितृ नाराज हों. कोई भी शुभ काम जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, घर के लिए महत्‍वपूर्ण चीजों की खरीदारी नहीं करें. नए कपड़े या किसी प्रकार की खरीदारी को भी अशुभ माना जाता है.

इस दौरान बेहद सादा जीवन जीने और सात्विक भोजन करने के लिए भी कहा गया है. श्राद्ध कर्म करने वाले सदस्य को इन दिनों बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए. उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन भी करना चाहिए. श्राद्ध कर्म हमेशा दिन में करें. सूर्यास्‍त के बाद श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है.

इन दिनों में लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग नहीं खाना चाहिए. जानवरों या पक्षी को सताना या परेशान भी नहीं करना है. पितृ पक्ष में अगर कोई जानवर या पक्षी आपके घर आए, तो उसे भोजन जरूर कराना चाहिए। मान्‍यता है कि पूर्वज इन रूप में आपसे मिलने आते हैं. पितृ पक्ष में पत्तल पर भोजन करें और ब्राह्राणों को भी पत्तल में भोजन कराएं, तो यह फलदायी होता है. शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष के समापन के बाद पितृ अपने लोक लौट जाते हैं.

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