2024 में बांगलादेश में छात्र आंदोलनों के चरम पर, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। सेना अधिकारियों द्वारा इस्तीफे का दबाव बनाने पर उन्होंने गुस्से में कहा, “मुझे गोली मारो और यहीं, गोनोभवन में दफनाओ” ।
हालात बिगड़ने के बाद, रक्षा अधिकारियों ने उन्हें केवल 45 मिनट में बांगलादेश छोड़ने का आदेश दिया। उनके बेटे साजिब वाजेद जॉय ने फोन पर उन्हें इस्तीफा देने के लिए मनाया। इसके बाद, हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना एक सैन्य हेलीकॉप्टर से भारत के लिए रवाना हुए ।
भारत पहुंचने के बाद, हसीना ने राष्ट्र के नाम कोई संदेश प्रसारित करने की इच्छा जताई, लेकिन समयाभाव के कारण यह संभव नहीं हो सका ।
उनकी यह प्रतिक्रिया और भागना बांगलादेश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसे “जुलाई क्रांति” के रूप में जाना जाता है।