मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए जाति आधारित जनगणना कराने का फैसला किया है। मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया, जिसे सामाजिक न्याय और समावेश की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह जनगणना स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से कराई जाएगी।
सरकार का कहना है कि इस जनगणना का उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग की सही स्थिति और जरूरतों को समझना है, ताकि योजनाओं और नीतियों का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंच सके। जातिगत आंकड़ों के अभाव में पिछड़े वर्गों के लिए सटीक नीति निर्माण में कठिनाई हो रही थी, जिसे यह कदम दूर करेगा।
इस जनगणना को डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए संचालित किया जाएगा और डेटा संग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी व वैज्ञानिक होगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक हित में जारी किए जाएंगे और इसका उपयोग सामाजिक न्याय, शिक्षा, रोजगार और आरक्षण नीति में बेहतर योजना बनाने के लिए किया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला आगामी चुनावों में सरकार की छवि को मजबूत कर सकता है।