2008 के मालेगांव बम धमाके में दोषी ठहराए गए सात लोगों को 31 जुलाई 2025 को विशेष NIA अदालत ने बरी कर दिया। जिसमें पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल हैं। अदालत ने कहा कि यूपीएपीए (UAPA) और अन्य आरोप पहनाने के लिए अपर्याप्त साक्ष्य और छानबीन में गड़बड़ी हुई थी, जिससे अभियोजन पक्ष दोष सिद्ध नहीं कर सका।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने इस फैसले को भाजपा के हिसाब से «ऐतिहासिक दिन» बताया और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने ‘भगवा आतंकवाद’ थ्योरी गढ़ी थी ताकि नरेंद्र मोदी के उभार को रोका जा सके और वोट बैंक राजनीति की जा सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने निर्दोष हिंदुओं को निशाना बनाया और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास किया ।
बीजेपी की IT प्रमुख अमित मालवीय और प्रवक्ता गौरव भाटिया ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हिंदुओं से माफी मांगने की मांग की, यह कहकर कि ‘भगवा आतंकवाद’ की थ्योरी पूरी तरह असफल रही और भारतीय जनता के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना गलत है और इस फैसले के बाद अब हिंसात्मक घटनाओं को किसी धार्मिक प्रवृत्ति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उनका कहना था कि धार्मिक पहचान को दंगों या आतंकवादी गतिविधियों से न जोड़कर न्याय और समृद्धि सुनिश्चित की जानी चाहिए ।
इस फैसले के बाद राजनीतिक बहस और तीखी हो गई है, जिसमें बीजेपी कांग्रेस पर अध्ययन और निष्पक्ष न्याय प्रणाली को प्रभावित करने का आरोप लगा रही है, जबकि विपक्ष उसका जवाब न्यायिक व धार्मिक समरसता को बनाए रखने के पक्ष में दे रहा है।