कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार, 27 मई 2025 को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) के छात्रों से बातचीत के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर अयोग्य ठहराए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे “संविधान पर हमला” और “सामाजिक न्याय के साथ विश्वासघात” करार दिया। गांधी ने कहा कि इन संस्थानों में “नॉट फाउंड सूटेबल” (NFS) का बहाना बनाकर आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवारों को बाहर किया जा रहा है, जिससे वे शिक्षा और नेतृत्व से वंचित हो रहे हैं।
उन्होंने इसे “नया मैनुवाद” बताते हुए कहा कि यह संविधान की भावना के खिलाफ है। गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) इस प्रक्रिया के माध्यम से दलितों, आदिवासियों और ओबीसी समुदायों के इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर भाजपा और RSS के खिलाफ संविधान की शक्ति के साथ संघर्ष की बात की और कहा कि यह केवल शिक्षा और रोजगार का मामला नहीं, बल्कि अधिकार, सम्मान और भागीदारी की लड़ाई है।