दृढ़ इरादों के बल पर सच होने लगे सपने, सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने बनाया अपने लिए मुकाम

आज बात होगी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी इंटरनेशनल वूमेन डे की । महिलाओं का नाम याद आते ही न जाने कितने रूप याद आ जाते हैं । मां, बहन, बेटी पत्नी के रूप में महिलाओं ने अपने आप को समाज में ढाला । दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है । आज यह स्टोरी महिलाओं के लिए ही समर्पित है ।

आइए जानते हैं महिलाओं के सामाजिक स्तर और बदलाव के बारे में। भारत समेत कई देशों में महिलाओं के साथ भेदभाव होता रहा है । लेकिन आज महिलाओं की स्थिति बेहतर होने पर उनकी कड़ी मेहनत और चुनौती कम नहीं रही । बात को आगे बढ़ाने से पहले कहना चाहेंगे कि आज ग्लोबलाइजेशन के दौर में महिलाओं ने अपने काबिलियत के बल पर बड़ा मुकाम हासिल किया ।

जहां भारत में पहले महिलाएं अपने हक में कम ही बोलती थी, वहीं आज स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया। मौजूदा समय में महिलाओं ने साबित कर दिया है वह हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में सक्षम हैं। महिलाएं न केवल आज अपने हक के लिए आवाज उठा रहीं बल्कि अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए सजग हैं।

राजनीति की दुनिया के साथ जल, थल और वायु सेना में भी महिलाएं पुरुषों के बराबर आ खड़ी हुई हैं। अंतरिक्ष में भी महिलाओं ने अपना डंका बजाया है । इसके अलावा आज महिलाएं प्लेन, ट्रेन, बस, ट्रक, ऑटो टैक्सी आदि चलाते हुए भी मिल जाएंगीं । यही नहीं भारत समेत दुनिया के कई ताकतवर नेताओं की सुरक्षा में भी महिलाएं तैनात हैं । वैश्विक महामारी कोविड-19 के कहर से पूरी दुनिया प्रभावित है।

इस महामारी के दौर में कोरोना योद्धाओं ने अग्रिम पंक्ति में खड़े रहकर मानवीय सेवा की मिसाल भी पेश की। इन कोरोना योद्धाओं में कई महिलाओं ने आगे बढ़कर सेवाएं दीं और अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया। संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम को महिलाओं के नेतृत्व को समर्पित किया है। इस साल इसकी थीम ‘वूमेन इन लीडरशिप अचिविंग एन इक्वल फ्यूचर इन ए कोविड-19 वर्ल्ड’ रखी है ।

इस दिन को विश्व की महिलाएं देश, भाषा,राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर मनाती हैं । आइए जानते हैं महिला दिवस का इतिहास और कब से मनाने की शुरुआत हुई थी ।

साल 1908 में मजदूरों के आंदोलन के बाद हुई थी शुरुआत—

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का इतिहास कम रोचक नहीं है । 1908 में एक मजदूर आंदोलन के बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी। अमेरिका के न्यूयॉर्क में महिलाओं ने मार्च निकालकर नौकरी के घंटे कम करने और वेतनमान बढ़ाने की मांग की थी। महिलाओं को उनके आंदोलन में सफलता मिली और इसके एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया। यह बात 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड और पीस के लिए हड़ताल की थी।

महिलाओं ने अपनी हड़ताल के दौरान अपने पतियों की मांग का समर्थन करने से भी मना कर दिया था और उन्हें युद्ध को छोड़ने के लिए राजी कराया था। इसके बाद वहां के सम्राट निकोलस को उसका पद छोड़ना पड़ा था और अंत में महिलाओं को मतदान का अधिकार भी दिया गया था। रूस की महिलाओं द्वारा यह विरोध 28 फरवरी को किया गया था। वहीं यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स को सहयोग करने के लिए रैलियां की थीं, इसी कारण 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी, जो अभी तक जारी है।

महिलाओं को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस–

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य रहा है कि महिलाओं को जागरूक और उनके अधिकारों के बारे में बताना है। आज भारत समेत विश्व के तमाम देशों में महिलाओं की जो स्थिति बेहतर हुई है उसका बड़ा योगदान महिला दिवस भी रहा है। हमारे देश में हर बड़े क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान भी कम नहीं है। मौजूदा समय में आधी आबादी उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।

साथ ही इस दिन महिलाओं के द्वारा किए गए विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए उनको याद भी किया जाता है। उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को इस दिन सम्मानित भी करने की परंपरा रही है। महिला दिवस की शुरुआत वैसे तो 1908 में हुई थी लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1975 में इसे मान्यता दी। इसके बाद विश्वभर के कई देशों में 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाने लगा।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1996 से इस दिवस को एक स्पेशल थीम के साथ मनाना शुरू किया । इसके बाद हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अलग थीम के साथ मनाया जाता है । इस थीम का मुख्य उद्देश्य रहता है कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।

महिलाओं काे आज विश्व के तमाम देशों में फैसले लेने की मिली आजादी–

इस दिन पूरे विश्व में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दुनिया भर में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी और उन्हें प्रेरित करने के लिए इसका आयोजन वैश्विक स्तर पर किया जाता है। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में महिलाएं स्वयं बड़े-बड़े फैसले ले रही हैं। नारी अब अपने फैसलों को लेकर पुरुषों पर निर्भर नहीं हैं। वहीं, दूसरी तरफ पुरुष भी महिलाओं को लेकर संवेदनशील हो रहे हैं।

महिला दिवस पर पुरुषों का उत्साह भी देखते ही बनता है। त्याग का दूसरा नाम कहलाने वाली महिलाएं अब इस दिन का बेसब्री से इंतजार करती हैं । वहीं, हर साल नए थीम के साथ इसका आयोजन होता है। महिला दिवस का वास्तविक मकसद यह है कि महिलाओं को जीवन में बराबरी का दर्ज असल मायने में मिले, इसलिए इस दिन का विश्व में खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

यहां हम आपको बताते हैं कि कई देशों में इस दिन महिलाओं के सम्मान में छुट्टी दी जाती है और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । रूस और दूसरे कई देशों में इस दिन के आस-पास फूलों की कीमत काफी बढ़ जाती है । इस दौरान महिला और पुरुष एक-दूसरे को फूल देते हैं।

चीन में ज्यादातर ऑफिस में महिलाओं को आधे दिन की छुट्टी दी जाती है। वहीं अमरीका में मार्च का महीना ‘विमेन्स हिस्ट्री मंथ’ के तौर पर मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन महिलाओं के नेतृत्व को एक पहचान और सम्मान देने का वक्त है।

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