सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 7 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ के समक्ष कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लगभग ₹23,000 करोड़ की लॉन्ड्र की गई धनराशि बरामद की है और इसे वित्तीय अपराधों के पीड़ितों को वितरित कर दिया गया है। यह जानकारी भूषण पावर एंड स्टील (BPSL) मामले से जुड़ी समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सामने आई, जहाँ मई के विवादास्पद आदेश पर पुनर्विचार किया जा रहा है ।
मेहता ने स्पष्ट किया कि बरामद राशि राज्य कोष में नहीं जाती, बल्कि दोषियों से जब्त कर पीड़ितों को लौटाई जाती है। CJI ने पूछा कि दोषसिद्धि दर कितनी है, जिस पर SG ने बताया कि पीनल अपराधों में सज़ा दर कम होती है—मुख्य रूप से न्याय प्रणाली की खामियों के कारण। CJI ने प्रतिक्रिया दी कि “न बिना ट्रायल सज़ा देना भी कई वर्षों तक चलता रहा है।”
सॉलिसिटर जनरल ने उल्लेख किया कि कई मामलों में ऐसे महत्त्वपूर्ण कैश बरामद किए गए कि कैश काउंटिंग मशीनें बेकफ़ुल हो गईं और नई मशीनें मंगानी पड़ीं। उन्होने यह भी संकेत दिया कि सोशल मीडिया पर बने कथित कथानक (narratives) को कोर्ट निर्णय के आधार नहीं माना जाता ।
इस बयान ने ED की सक्रियता और वित्तीय अपराधों के पीड़ितों को राहत प्रदान करने की प्रक्रिया पर नए आयाम दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ अब इस मामले की आगे की समीक्षा सुनवाई करेगी।