प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और वैज्ञानिक प्रोफेसर जयंत नारळीकर का पुणे में 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने भारतीय खगोलशास्त्र और ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और विज्ञान को आम जनता तक पहुँचाने का अद्वितीय कार्य किया। उनका निधन न केवल वैज्ञानिक समुदाय के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
जयंत नारळीकर ने प्रसिद्ध “steady state theory” को फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर आगे बढ़ाया। उन्होंने भारतीय खगोलशास्त्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। वे लंबे समय तक इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA), पुणे के संस्थापक निदेशक रहे। इसके अलावा उन्होंने अनेक विज्ञान-प्रसारक लेख और किताबें लिखीं, जिनसे युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा मिला।
भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा था। उनका जीवन विज्ञान, शिक्षण और जिज्ञासु सोच का प्रतीक था।
उनके निधन से भारत ने एक महान वैज्ञानिक, विचारक और मार्गदर्शक को खो दिया है। देश हमेशा उन्हें उनकी विद्वत्ता और विज्ञान के प्रति समर्पण के लिए याद रखेगा।