25 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें थोड़ी गिरावट दर्ज की गईं, जैसे कि XAU/USD लगभग $3,360.68 प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा था, जो पिछले दिन से 0.2 % तक नीचे था। यह गिरावट अमेरिका-जापान के व्यापार समझौते समेत वैश्विक व्यापार आशाओं के चलते हुई, जिससे “safe‑haven” की मांग कमजोर हुई । वहीं, HSBC ने अपने 2025-26 के पूर्वानुमानों में कीमतों को ऊँचे स्तर पर बरकरार रखते हुए वर्ष 2025 के लिए औसत $3,215 प्रति औंस का अनुमान लगाया है, और कीमतों की सीमा $3,100‑$3,600 तक रहने की संभावना जताई है ।
भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत में ₹1,360 प्रति 10 ग्राम, यानी लगभग ₹1,00,970 से गिरकर ₹10,048 प्रति ग्राम (₹1,00,480 प्रति 10 ग्राम) पर आ गई है; उसी तरह 22 K सोने की कीमत ₹9,210 प्रति ग्राम पर स्थिर हुई है ।
विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में ‘sell on rise’ रणनीति—जब कीमतें बढ़ें, तब लाभ ले लेना—व्यावहारिक है। ऐसा इसलिए क्योंकि बाजार वर्तमान में सीमित रैली के माहौल में है और तकनीकी संकेतों में भी मंदी का रुख बरकरार है , और हालिया रिपोर्ट ने भी बताया कि सोना अभी प्रवृत्ति संबंधी समेकन अवस्था में है, जिसमें खरीद के मुकाबले छोटे उठावों पर बिक्री अधिक सुरक्षित नजर आती है ।
इसके अतिरिक्त, वैश्विक आर्थिक स्थिरता और मुद्रास्फीति‑प्रथम माहौल सोने की कीमतों को फिर से ऊँची रेंज में ले जाने की उम्मीद कम बना रहा है। बावजूद इसके, यदि भू‑राजनैतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ बिगड़ती हैं तो अचानक मांग में तेजी आना भी संभव है ।
संक्षेप में, आज सोने में निवेश में “कीमत से ऊपर पर बिकें” रणनीति अपनाना अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण माना जा रहा है, जिससे अल्पकालिक लाभ सुनिश्चित किए जा सकते हैं—बशर्ते जोखिम नियंत्रण के लिए स्टॉप लॉस तकनीकी स्तरों के आसपास स्थापित किए जाएँ।