गूगल के विशाखापत्तनम में 15 अरब डॉलर के ए.आई. डेटा सेंटर निवेश ने आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बीच तीखी राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। कर्नाटक के आईटी मंत्री प्रियंक खरगे ने आंध्र प्रदेश की निवेश रणनीति की आलोचना करते हुए इसे “आर्थिक आपदा” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश ने ₹22,000 करोड़ के अनुदान, भूमि, जल और बिजली पर सब्सिडी जैसे अस्थिर प्रोत्साहन दिए हैं। खरगे ने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश की कुल देनदारियां ₹10 लाख करोड़ तक पहुंच गई हैं, और राजस्व घाटा 2.65% से बढ़कर 3.61% हो गया है।
इसके जवाब में, आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए कहा, “कहा जाता है कि आंध्र का खाना तीखा है। लगता है, हमारे निवेश भी कुछ वैसे ही हैं। कुछ पड़ोसी जलन महसूस कर रहे हैं!” उन्होंने अपने ट्वीट में #AndhraRising और #YoungestStateHighestInvestment हैशटैग का इस्तेमाल किया।
यह विवाद दोनों राज्यों के बीच निवेश को लेकर प्रतिस्पर्धा और राजनीतिक बयानबाजी को उजागर करता है। नारा लोकेश ने पहले भी बेंगलुरु की अव्यवस्थित बुनियादी ढांचे का हवाला देते हुए अनंतपुर को एक बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया था। प्रियंक खरगे ने इस पर आंध्र प्रदेश के प्रयासों को “कर्नाटक के कमजोर पारिस्थितिकी तंत्र का शिकार करना” बताया था।
यह ताजा विवाद इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे राज्य एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए निवेश आकर्षित करने के लिए राजनीतिक और आर्थिक रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।