उत्तर भारत की मध्यम वर्गीय आबादी को बड़ी राहत मिलने की संभावना है: केंद्र सरकार जल्द ही जीएसटी (GST) में 12% स्लैब को समाप्त करके रोजमर्रा की चीजों पर कर दरों में कटौती करने पर विचार कर रही है। ये प्रस्ताव टूथपेस्ट, किचन बर्तन, कपड़े, जूते, सिलाई मशीनों, प्रेशर कुकर, इत्यादि जैसे घरेलू उपयोग के सादे सामानों को 5% स्लैब में लाने का है ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक इंटरव्यू में संकेत दिए कि सरकार ‘और अधिक उपभोक्ता-अनुकूल ढाँचे’ की दिशा में काम कर रही है । इस प्रस्ताव के लागू होने पर टॉयलेटरी व होम किचन आइटम्स, रेडीमेड गारमेंट्स, ₹500–₹1,000 के जूते व स्टेशनरी जैसे सामान अब सस्ते मिलेंगे।
हालांकि, इस पहल से सरकार को प्रारंभिक रूप से ₹40,000–₹50,000 करोड़ का घाटा उठाना पड़ सकता है, लेकिन केंद्र का मानना है कि इससे उपभोग बढ़ेगा, कर बेस बढ़ेगा और दीर्घकालीन रूप से राजस्व संग्रह मजबूत होगा ।
इस फैसले पर अंतिम निर्णय GST काउंसिल में लिया जाएगा, जहां राज्यों की सहमति आवश्यक है। फिलहाल पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसी कुछ सरकारों ने इसकी आलोचना की है । यह मसला इस महीने की 56वीं GST काउंसिल बैठक में चर्चा के लिए लाया जाएगा।
इसके पश्चात यदि यह प्रस्ताव लागू हुआ, तो घरेलू वस्तुओं की कीमतों में सीधे 7% तक की कमी देखने को मिल सकती है—मध्यम वर्ग की जेब पर इसका सकारात्मक असर निश्चित है।