महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के स्कूलों में कक्षा 1 से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में उठाया गया है। अब से, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्रों को कक्षा 1 से हिंदी पढ़नी होगी। इससे पहले, हिंदी को कक्षा 3 से पढ़ाने की व्यवस्था थी।
नए पाठ्यक्रम ढांचे के अनुसार, राज्य शिक्षा विभाग ने चरणबद्ध तरीके से इस नीति को लागू करने की योजना बनाई है। इसमें कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य किया गया है, जबकि अन्य माध्यमों के स्कूलों में मराठी और अंग्रेजी को अनिवार्य विषय बनाया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों में बहुभाषिक क्षमता का विकास करना है।
हालांकि, इस निर्णय पर कुछ शिक्षाविदों ने आपत्ति जताई है। पूर्व स्कूल शिक्षा निदेशक वसंत कल्पांडे ने इसे अनुचित करार दिया है, जबकि शिक्षक और सक्रिय शिक्षक मंच के संयोजक भाऊसाहेब चास्कर ने छोटे बच्चों पर तीन भाषाओं का बोझ डालने पर चिंता जताई है।
इस बदलाव के साथ, राज्य शिक्षा विभाग ने शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, संशोधित स्कूल समय सारणी और अद्यतन परीक्षा नीतियों की भी घोषणा की है। इससे छात्रों की समग्र प्रगति को बढ़ावा मिलेगा और शैक्षिक तनाव कम होगा।