विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को घोषणा की कि भारत सरकार 1983 के प्रवासन अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य वैश्विक कार्यस्थल की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करना और भारतीय नागरिकों की कानूनी प्रवासन को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम उस समय की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया था, लेकिन अब समय बदल गया है और भारत को नई संभावनाओं के लिए तैयार रहना चाहिए।
जयशंकर ने “ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्रॉम इंडिया” (GATI) फाउंडेशन के शुभारंभ कार्यक्रम में कहा कि सरकार ने भारतीय श्रमिकों को अधिक उत्पादक बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण, व्यावसायिक शिक्षा और पेशेवर तैयारी के कई प्रयास शुरू किए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने अब तक जर्मनी से मलेशिया तक 22 देशों के साथ प्रवासन और गतिशीलता समझौते किए हैं, जो पेशेवरों और श्रमिकों दोनों के लिए नए अवसर खोलते हैं।
जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में लगभग 3.4 करोड़ भारतीय और भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते और काम करते हैं, जिनमें से लगभग आधे भारतीय नागरिक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने विदेशों में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि प्रभावी शिकायत पोर्टल की स्थापना, जरूरतमंदों के लिए फंड की व्यवस्था, और कठिन परिस्थितियों में पासपोर्ट पुनः जारी करने जैसी सेवाएं।