जानें कब है रंगभरी ग्यारस, इसके पीछे क्या है धार्मिक मान्यता और आर्थिक समस्या दूर करने के लिए इस दिन कैसे करें पूजा

फाल्गुन शुक्ल एकादशी को रंगभरी ग्यारस के नाम से जाना जाता है। इस दिन से ही काशी में होली के त्यौहार की शुरूआत भी हो जाती है. इसके साथ ब्रज में भी रंगभरी एकादशी की बहुत मान्यता है जहाँ भक्त श्री बांकेबिहारी जी के यहाँ होली खेलते हैं।

इस वर्ष रंगभरी ग्यारस बुधवार, 24 मार्च 2021 को पड़ रही है।
आइये जानते हैं इसके पीछे क्या है धार्मिक मान्यता और कैसे मनाएं इस पर्व को।

रंगभरी ग्यारस का महत्त्व
यह पर्व मुख्यतः भगवान शिव और माँ पार्वती को समर्पित है। यह एकादशी बाबा विश्वनाथ के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसी मान्यता है कि रंगभरी ग्यारस के ही दिन भगवान शिव माँ पार्वती को विवाह के पश्चात पहली बार काशी लाए थे।

इस दिन श्री काशी विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है और गणों के साथ उनकी गौना बारात निकलती है। इस दौरान भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों एवं गणों से फूलों के गुलाल और गुलाब की पंखुड़ियों के साथ शंखनाद और डमरु वादन के नादस्वर के बीच होली खेलते हैं और इसी के साथ काशी में रंगोत्सव की शुरुआत होती है।

जानें भगवान शिव की शास्त्रीय पूजन विधि

इस दिन कैसे करें पूजा अर्चना

भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए रंगभरी ग्यारस की पूजा का विशेष महत्त्व है। यह दिन आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे जातकों के लिए तो विशेष लाभकारी है। इस दिन स्नानोपरांत पूजन का संकल्प ले कलश स्थापना करके भगवान शिव का षोडशोपचार पूजन करें,

उनका विभिन्न तरीकों से अभिषेक करें और श्रृंगार करें तथा अंत में अबीर गुलाल अर्पित कर आर्थिक समस्या से उबारने के लिए भगवान् शिव से प्रार्थना करे

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