दक्षिण कोरिया की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों LG और Samsung ने भारत सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इन कंपनियों का आरोप है कि सरकार की नई ई-कचरा नीति के तहत इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट पुनर्चक्रणकर्ताओं को प्रति किलोग्राम ₹22 का न्यूनतम भुगतान अनिवार्य करना उनके लिए अत्यधिक वित्तीय बोझ है। कंपनियों का कहना है कि इस नीति से उनके संचालन की लागत में 5 से 15 गुना तक वृद्धि हो सकती है। Samsung ने अपनी याचिका में इस नीति को पर्यावरणीय लाभ के बिना केवल लागत बढ़ाने वाला बताया है।
यह नीति भारत सरकार के ई-कचरा क्षेत्र को औपचारिक रूप देने के प्रयास का हिस्सा है, जहां केवल 43% कचरे का ही पुनर्चक्रण होता है। इस नीति के तहत कंपनियों को पुनर्चक्रणकर्ताओं को निर्धारित न्यूनतम राशि का भुगतान करना अनिवार्य किया गया है। अन्य कंपनियों जैसे Daikin, Voltas, और Havells ने भी इस नीति के खिलाफ कानूनी चुनौती दी है।
सरकार का कहना है कि यह नीति पर्यावरणीय सुरक्षा और औपचारिक पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है, जबकि कंपनियों का मानना है कि यह उनके लिए अत्यधिक वित्तीय दबाव उत्पन्न कर रही है।