इंदौर, मध्य प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ तीन साल की बच्ची, जो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी, को उसके माता-पिता ने जैन धर्म के ‘संथारा’ अनुष्ठान में शामिल किया। इस अनुष्ठान के बाद बच्ची की मृत्यु हो गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश और बहस का माहौल बन गया है।
संथारा, जिसे ‘सल्लेखना’ भी कहा जाता है, जैन धर्म का एक प्राचीन अनुष्ठान है जिसमें व्यक्ति आत्मशुद्धि के लिए धीरे-धीरे भोजन और जल का त्याग करता है। हालांकि यह अनुष्ठान वयस्कों के लिए स्वैच्छिक होता है, लेकिन इस मामले में तीन साल की बच्ची को यह अनुष्ठान कराया गया।
बच्ची के माता-पिता, जो आईटी पेशेवर हैं, ने बताया कि उन्हें जैन मुनि राजेश मुनि महाराज से इस अनुष्ठान की सलाह मिली थी। उनके अनुसार, मुनि महाराज ने बच्ची की स्थिति को गंभीर बताते हुए संथारा की सलाह दी थी। बच्ची की मृत्यु अनुष्ठान के कुछ ही समय बाद हो गई।
इस घटना ने संथारा के कानूनी और नैतिक पहलुओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एक तीन साल की बच्ची को इस अनुष्ठान में शामिल करना न केवल उसकी इच्छा के खिलाफ है, बल्कि यह बाल अधिकारों का उल्लंघन भी हो सकता है।
मध्य प्रदेश सरकार और जैन समुदाय के नेताओं ने इस मामले की जांच की बात कही है, और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता जताई है।