बेंगलुरु/धर्मस्थल (22 जुलाई 2025): कर्नाटक में धर्मस्थल मंदिरstown में विवादास्पद सामूहिक दफन का मामला फिर चर्चा में है। 1995–2014 के बीच मंदिर प्रशासन द्वारा गए शव दफनाने के आरोप लगाने वाला एक पूर्व सफाई कर्मचारी अब सनसनीखेज गवाह बनकर उभरा है।
उसने सैकड़ों शव—अधिकतर महिलाएँ और बच्चे, जिनके शरीर पर बलात्कार, एसिड हमले या गला घोंटने के निशान बताए गए—अवशेष स्थल से खुद खोदे गए हड्डियों के साथ प्रमाण दिए हैं। इस आरोप ने राज्यभर में नए सवाल खड़े कर दिए, खासकर 1986, 2003 और 2018 की उन गुमशुदा व संदिग्ध मौतों के संबंध में जिनमें अभी तक कोई मुकदमा नहीं दर्ज हुआ था ।
कर्नाटक सरकार ने 19 जुलाई को SIT (विशेष जांच टीम) गठित की है, जिसका नेतृत्व DGP प्रणब मोहंती करेंगे। DIG एमएन अनुचेत, डीसीपी सौम्यलता एसके और SP जितेंद्र कुमार दयामा इस दल का हिस्सा हैं । वरिष्ठ वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT गठित करने की भी मांग की है T।
कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री डीनश गुंडु राव ने कहा कि उन्हें “कोई संरक्षण नहीं मिलेगा” और हर आरोपों की निष्पक्ष जांच कराने की प्रतिबद्धता है। वहीं भाजपा ने इसे हिंदू तीर्थस्थल की छवि धूमिल करने के लिए सियासी षड्यंत्र बताया, जबकि CPI सांसद संतोश कुमार ने NIA जांच की मांग की है क्योंकि यह मामले संगठित अपराध की संभावित रूपरेखा से जुड़ा प्रतीत होता है ।
इस बीच, बेंगलुरु अदालत ने मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म से जुड़े 8,842 ऑनलाइन लिंक एवं पोस्ट्स हटाने का आदेश जारी किया है, जिनमें मंदिर के प्रति मानहानिकारक आरोप प्रसारित हो रहे थे ।