मोदी सरकार घरेलू निवेशकों पर भरोसा, 29.7 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को नियंत्रित करने की योजना

​प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को कोविड-19 महामारी के दौरान और अवसंरचना खर्चों के लिए बड़े पैमाने पर उधारी का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप भारत का कर्ज अब ₹29.7 लाख करोड़ (लगभग 346 अरब डॉलर) हो गया है। इस कर्ज को नियंत्रित करने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्ज को लंबी अवधि के बॉन्ड्स में बदलने की रणनीति अपनाई है।

इस प्रक्रिया में घरेलू निवेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका है, खासकर बीमा कंपनियों की। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) जैसे बड़े संस्थान इन बॉन्ड्स में निवेश कर रहे हैं, जो सरकार को कर्ज पुनर्वित्त में मदद कर रहे हैं। LIC ने 100 वर्षों तक के बॉन्ड जारी करने की संभावना पर भी विचार किया है।

फिच की इकाई इंडिया रेटिंग्स के निदेशक, सौम्यजीत नियोगी के अनुसार, घरेलू निवेशक इस प्रकार के बॉन्ड्स में निवेश करने में रुचि रखते हैं, क्योंकि ये पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली की तुलना में अधिक दीर्घकालिक लाभ प्रदान करते हैं।

हालांकि, विपक्ष ने मोदी सरकार पर कर्ज में वृद्धि का आरोप लगाया है, और इसे राष्ट्र निर्माण के लिए खर्च करने की जरूरत को लेकर सवाल उठाए हैं।

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