उत्तराखंड में 5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, राज्य के 350 से अधिक जंगलों को देवताओं को समर्पित किया गया है। यह परंपरा ‘कान्ह’ या ‘देववृक्ष’ की मान्यता से जुड़ी हुई है, जिसके तहत स्थानीय समुदायों ने इन जंगलों को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान किया है।
इन जंगलों में देवताओं का वास माना जाता है और इन्हें किसी भी प्रकार की वानिकी गतिविधि से मुक्त रखा जाता है। स्थानीय लोग इन जंगलों की रक्षा करते हैं और इन्हें पवित्र मानते हैं। यह परंपरा न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित रखती है।
राज्य सरकार ने इन देववृक्षों की पहचान और संरक्षण के लिए विशेष पहल की है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिल रही है।