उत्तराखंड में ग्राम, ब्लॉक व जिला स्तर की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर उच्च न्यायालय ने अचानक रोक लगा दी है। इस फैसले के पीछे मुख्य वजह चुनाव में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों को बताया जा रहा है।
हाईकोर्ट के समक्ष डाले गए याचिका में चुनाव आयुक्त द्वारा पटवारी-परिषद संचालित मतदाता सूची में कई त्रुटियों, आरक्षित सीटों के आवंटन में पारदर्शिता की कमी और उम्मीदवारों की पात्रता निर्धारण में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था। याचिका में मांग की गई थी कि इन सभी सुस्त मुद्दों को सही ढंग से जांचा जाए, अन्यथा चुनाव प्रक्रिया में निष्पक्षता और लोक आत्मगुरुता पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है।
न्यायालय ने चुनाव आयोग व राज्य सरकार से इन आरोपों का लिखित जवाब तलब करते हुए तुरंत चुनावों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अगले सुनवाई से पहले तकनीकी टीम से जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश भी जारी किया है।
राजनीतिक दलों और स्थानीय प्रशासन में इस फैसले को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। चुनाव आयोग का कहना है कि रोके जाने वाली प्रक्रिया को निर्देशों के अनुसार फिर से सुचारू किया जाएगा। वहीं, विपक्षी दलों ने इस फैसले को लोकतंत्र की रक्षा का कदम बताया है।
इस समय प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियाँ ठहर गई हैं। अब यह देखना बाकी है कि उच्च न्यायालय की अगली सुनवाई आने वाले हफ्तों में कब होगी और किस दिशा में फैसला आता है।