श्रीलंका यात्रा के बीच साइप्रस में पीएम नरेंद्र मोदी ने वैश्त्रिक संकट पर अपने स्पष्ट रुख को दोहराया, कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है।” उन्होंने मध्य पूर्व में इज़राइल–ईरान तनाव पर चिंता जताते हुए जोर दिया कि शांति और कूटनीति ही रास्ता है ।
उन्होंने कहा कि भारत और साइप्रस दोनों इस समय की चुनौतियों को समझते हैं और द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने में विश्वास रखते हैं । प्रधानमंत्री ने साइप्रस को व्यापारिक कॉरिडोर, IMEC (India–Middle East–Europe Corridor), परियोजना में महत्वपूर्ण भागीदार बताया जो भारत को यूरोप तक जोड़ने का दायरा रखती है ।
मोदी ने यह भी आशा जताई कि साल 2025 के अंत तक भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफТА (Free Trade Agreement) पर सहमति बन सकती है, जिसमें साइप्रस की भूमिका निर्णायक होगी । वहीं, उन्होंने कहा कि यह दौरा आतंकवाद और रणनीतिक साझेदारी पर साझी चिंताओं के लिए भी महत्वपूर्ण है ।
इस दौरान उन्होंने कहा:”यह युद्ध का युग नहीं है,”
— जो भारत की वैश्विक शांति-प्रवक्ता भूमिका को दर्शाता है ।
संक्षेप में, पीएम मोदी ने दक्षिण एशिया से यूरोप को जोड़ने वाली नई आर्थिक पहल के साथ-साथ वैश्विक मंच पर शांतिपूर्ण दृष्टिकोण की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है।