ओडिशा के कंधमाल जिले में सरकारी आवासीय स्कूलों की दो कक्षा X की नाबालिग छात्राओं को रूटीन स्वास्थ्य जांच के दौरान गर्भवती पाया गया, जिसने राज्य में सुरक्षा कमज़ोरियों पर नई बहस शुरू कर दी है। दोनों छात्राएं ग्रीष्मकालीन अवकाश से लौटने पर नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान पकड़ी गईं, जब सनैटरी पैड न लेने पर स्कूल मैट्रन ने उनकी जांच कराने का निर्णय लिया था; जिसके बाद अस्पताल में पुष्टि हुई ।
एक छात्रा की केस दर्ज की गई Kotgarh पुलिस स्टेशन में (Case No‑103/2025) और दूसरी बेलघर पुलिस स्टेशन में (Case No‑64/2025)। पुलिस दोनों मामलों की परिस्थितियों की जांच कर रही है, और समझने की कोशिश कर रही है कि गर्भधारण कब और किस परिस्थितियों में हुआ ।
कई सूत्रों के अनुसार, छात्राएं अपनी गांवों में छुट्टी के दौरान गर्भवती हुई थीं; जब स्कूल स्टाफ को डाउट हुआ तो मेडिकल जांच कराई गई । राज्य सरकार ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए SOP तैयार करते हुए आवासीय विद्यालयों में बच्चियों के स्वास्थ्य, निगरानी तथा अभ्यर्थियों की प्रविष्टि‑निकासी दस्तावेजीकरण को सख्त करने की कवायद शुरू कर दी है ।
जिला कल्याण अधिकारी रबिन्द्रनाथ मिश्रा ने बताया कि स्वास्थ्य जांच के अलावा छात्राओं को जीवनचक्र शिक्षा (life‑cycle education) दी जा रही है और POCSO अधिनियम के संबंध में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं । यह घटनाएं राज्य में नाबालिगों के संरक्षण और संस्थागत देखरेख की उपलब्धियों पर सवाल खड़े करती हैं, जिससे व्यापक सुधार की मांग उठने लगी है।