बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले चुनाव आयोग द्वारा घोषित ‘विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन’ (SIR) को 11 विपक्षी दलों ने लोकतांत्रिक ताकत से खेलने वाली प्रक्रिया बताते हुए कड़ा विरोध किया। इंडिया ब्लॉक के नेताओं — कांग्रेस, RJD, CPI(M), CPI, CPI(ML) लिबरेशन, NCP-SP, समाजवादी पार्टी समेत — ने बुधवार को चुनाव आयोग से मुलाकात कर इसे ‘वोटबंदी’ का नाम दिया।
नेता दावा कर रहे हैं कि मात्र 25‑30 दिनों में आठ करोड़ वोटरों की सूची का पुनरीक्षण मूसलाधार बारिशों के बीच असंभव और समयबद्धता के विरुद्ध है। कांग्रेस नेता अभिषेक मणु सिंहवी ने कहा कि यह प्रक्रिया गरीब, दलित, आदिवासी, प्रवासी और हाशिए पर रहने वाले लोगों को मतदान से वंचित कर सकती है, जिससे उनके सरकारी सुविधाओं का नुकसान हो सकता है ।
CPI(ML) के दिपंकर भट्टाचार्य ने बयान दिया, “यह ‘नोटबंदी’ के बाद ‘वोटबंदी’ होगी” और चेतावनी दी कि लाखों असली वोटरों का नाम काटे जाने का खतरा है । RJD के मनोज झा ने पूछा, “क्या छंटनी के उद्देश्य में मतदान से वंचित करना शामिल है?” ।
चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि SIR पूरी तरह मौव्वक कानून और प्रक्रिया (RP एक्ट 1950, अनुच्छेद 326) के अंतर्गत हो रहा है और सभी चिंताओं का जवाब दे दिया गया है।