अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान के सामने बेलआउट पैकेज के तहत 11 नई शर्तें रखी हैं, जिनका पालन करना इस आर्थिक संकट से जूझ रहे देश के लिए अनिवार्य होगा। यह समीक्षा 2025 की दूसरी छमाही में की जाएगी। पाकिस्तान पहले ही IMF से कुल 3 अरब डॉलर के स्टैंडबाय एग्रीमेंट के तहत मदद प्राप्त कर चुका है, लेकिन अब उसे स्थायी सहयोग के लिए इन नई शर्तों को पूरा करना होगा।
इन शर्तों में कर सुधार, ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता, टैक्स बेस का विस्तार, सरकारी खर्चों में कटौती, और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण जैसे बिंदु शामिल हैं। IMF चाहता है कि पाकिस्तान अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करे और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति अपनाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान इन शर्तों को समय पर पूरा नहीं करता है, तो उसे भविष्य में आर्थिक सहायता मिलना मुश्किल हो सकता है। यह कदम IMF की उस नीति के तहत आता है जिसमें वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसकी वित्तीय मदद का उपयोग सही दिशा में हो।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पाकिस्तान इन शर्तों पर खरा उतर पाएगा या नहीं।