खोखले दावों की पोल खोलती तस्वीर: पालकी में बैठाकर बीमार महिला को 10 किमी पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल

सिस्टम की लापरवाही के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं की जिंदगी आज भी पहाड़ जैसी ही है। ताजा उदाहरण निजमुला घाटी के दूरस्थ पाणा गांव में देखने को मिला। ग्रामीणों ने बीमार महिला को डंड़ी-कंडी की पालकी बनाकर 10 किलोमीटर पैदल चलकर जिला चिकित्सालय गोपेश्वर पहुंचाकर उसकी जान बचाई।

पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने और सुविधाओं के लिए सरकार और जनप्रतिनिधि भले ही लाख दावे करे, लेकिन उनके दावों की पोल आए दिन खुल रही हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि ऐसी घटनाएं इससे पहले भी कई बार हो चुकी है, जब स्थानीय युवाओं ने गर्भवती महिलाओं व घायलों, बुजुर्गों को इसी तरह से कई चुनौतियों का सामना करते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है।

सरकार के नुमाइंदे हर बार क्षेत्र के लोगों को सड़क का आश्वासन देते हैं, लेकिन गांव तक सड़क अभी तक भी नहीं पहुंच पाई है। सड़क को लेकर ग्रामीणों ने आंदोलन भी किया, लेकिन उसके बावजूद भी आज तक गांव में सड़क नहीं पहुंच पाई है।

सामाजिक कार्यकर्त्ता मनवर सिंह का कहना है कि बाईपास का कार्य भी चार महीने से बंद पड़ा हुआ है। शासन और प्रशासन के सामने ग्रामीणों की ओर से लगातार पत्राचार किया जाता रहा है, लेकिन उनकी समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। वे अब अपने को लाचार महसूस कर रहे हैं। बीमार और गर्भवती महिलाओं को बड़ी चुनौतियों के साथ ग्रामीण जान जोखिम में डालकर किसी तरह से चिकित्सालय पहुंचाते हैं, मगर शासन-प्रशासन फिर भी मौन है।

मुख्य समाचार

​अटारी-वाघा सीमा पूरी तरह बंद: भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर

पहल्गाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले...

छत्तीसगढ़: एनएसएस कैम्प में छात्रों को नमाज पढ़ने पर प्रोफेसर गिरफ्तार, विवाद गहरा!

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय...

विज्ञापन

Topics

More

    छत्तीसगढ़: एनएसएस कैम्प में छात्रों को नमाज पढ़ने पर प्रोफेसर गिरफ्तार, विवाद गहरा!

    छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय...

    Related Articles