पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुए “स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट” ने खाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दिया है। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने तय किया है कि एक देश पर हमले को दूसरे देश पर हमले के रूप में माना जाएगा, जिससे आपसी सुरक्षा सहयोग को और मजबूती मिलेगी। हालांकि, पाकिस्तान ने स्पष्ट किया है कि इस समझौते में परमाणु हथियारों का उपयोग शामिल नहीं है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह एक अप्रत्यक्ष परमाणु सुरक्षा छाता प्रदान कर सकता है, विशेष रूप से इज़राइल और ईरान जैसे संभावित खतरों के संदर्भ में।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस समझौते के दौरान संकेत दिया कि कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य मुस्लिम देशों को भी इस सुरक्षा गठबंधन में शामिल किया जा सकता है, जिससे “मुस्लिम उम्माह” की एकता को बढ़ावा मिलेगा।
भारत ने इस समझौते पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि वह इसके राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभावों का अध्ययन करेगा और अपनी सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। भारत और सऊदी अरब के बीच पहले से ही एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, और भारत इस संबंध को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह विकास भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती प्रस्तुत करता है, क्योंकि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बढ़ते सैन्य सहयोग से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है।