उपराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा—“सस्टेनेबिलिटी अब केवल नारा नहीं, ये समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है”। यह संदेश उन्होंने 29 मार्च को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन ‘पर्यावरण–2025’ के उद्घाटन के दौरान दिया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सस्टेनेबल जीवनशैली अपनाना न सिर्फ पारिवारिक जिम्मेदारी है बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वच्छ हवा, पानी और समृद्ध प्राकृतिक विरासत छोड़ने का एक नैतिक कर्तव्य भी है। मुर्मू ने संतुलित विकास और पर्यावरण संरक्षण को ‘अवसर और चुनौती’ दोनों बताया, साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में हमारी संस्कृति की भूमिका पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रपति ने National Green Tribunal (NGT) की कार्यवाही की सराहना की, जो पर्यावरण न्याय तथा जलवायु न्याय के संदेशवाहक बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति, समुदाय और संस्था को पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत प्रयास जारी रखना चाहिए।
इसके अलावा, मुर्मू ने बच्चों और युवाओं को भी इस आंदोलन से जोड़ने की बात कही और कहा कि हमें रोजमर्रा की जिंदगी में ‘हर दिन पर्यावरण दिवस’ की भावना रखें। उनका मानना है कि टेक्नोलॉजिकल प्रगति के माध्यम से हम सब एक हरित, समृद्ध और टिकाऊ भारत की ओर बढ़ सकते हैं।
इस पूरे कार्यक्रम में उन्होंने अभिनव सॉल्यूशंस, नवीनीकृत उर्जा एवं जीवनशैली के पर्यावरणीय विकल्पों पर जोर दिया, जिससे भारत 2047 तक एक हरित और विकसित राष्ट्र बन सके।