अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को चेतावनी दी है कि यदि वह सरकार की मांगों का पालन नहीं करती, तो उसे विदेशी छात्रों को नामांकित करने की अनुमति खोनी पड़ सकती है। यह विवाद गाजा युद्ध के विरोध में हुए कैंपस प्रदर्शनों के बाद उत्पन्न हुआ है, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने “यहूदी विरोधी और चरमपंथी” करार दिया है।
होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड से विदेशी छात्रों की “अवैध और हिंसक गतिविधियों” पर जानकारी मांगी है और 30 अप्रैल तक की समयसीमा निर्धारित की है। इसके अलावा, सरकार ने $2.7 मिलियन की दो अनुदानों को रद्द कर दिया है और $9 बिलियन के संघीय अनुबंधों की समीक्षा कर रही है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की टैक्स-फ्री स्थिति को समाप्त करने की भी धमकी दी है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इन मांगों को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि ये अकादमिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं। इस विवाद में कोलंबिया, स्टैनफोर्ड और प्रिंसटन जैसी अन्य प्रमुख विश्वविद्यालयों ने हार्वर्ड का समर्थन किया है।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और मैसाचुसेट्स की गवर्नर मौरा हीली ने भी हार्वर्ड के रुख का समर्थन किया है। यह विवाद अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वतंत्रता और सरकार के हस्तक्षेप के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है।