मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने एक महत्वपूर्ण और साहसिक बयान में कहा कि न्यायाधीशों का सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सरकारी पद स्वीकार करना या चुनाव लड़ना, न्यायपालिका की निष्पक्षता और जनता के भरोसे को गंभीर रूप से कमजोर करता है। उन्होंने यह टिप्पणी न्यायिक स्वतंत्रता और संस्थागत गरिमा के संदर्भ में दी, जो वर्तमान समय में सार्वजनिक बहस का विषय बना हुआ है।
CJI गवई ने कहा कि जब न्यायाधीश अपनी सेवा अवधि पूरी करने के तुरंत बाद सरकार से किसी पद को स्वीकार करते हैं या सक्रिय राजनीति में उतरते हैं, तो यह संदेह पैदा करता है कि क्या उनके न्यायिक निर्णय निष्पक्ष थे या नहीं। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों पर स्पष्ट दिशानिर्देश और “कूलिंग ऑफ पीरियड” होना चाहिए, ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता बनी रहे।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में कुछ पूर्व न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की घटनाएं सामने आई हैं। CJI की इस टिप्पणी को न्यायिक सुधारों की दिशा में एक जरूरी और मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।