उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों को लेकर मतदाता सूचियों में गड़बड़ी और आरक्षण नियमों में उल्लंघन के गंभीर मामले उठाए हैं। ऑनलाइन स्रोतों के अनुसार, उच्च न्यायालय ने दो अहम आदेश दिए हैं।
पहला, न्यायमंडल ने सख्ती से निर्देश दिया है कि मतदाता सूची को अविलंब सत्यापित किया जाए। एक पीआईएल में यह बताया गया कि सतेली गाँव (बड़ा ऊँठी तहसील, देहरादून) में केवल दो परिवार ही रह रहे हैं, जबकि चुनावी सूची में 122 नाम दर्ज थे। उच्च न्यायालय ने डीएम द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति से छह हफ्तों में सूची की त्रुटियों को ठीक करने का आदेश दिया है ।
दूसरा, राज्य सरकार द्वारा आरक्षण रोटेशन नियमों को बदले जाने की प्रक्रिया में संवैधानिक उल्लंघन का निष्कर्ष निकाला गया। न्यायालय ने 9 जून को जारी संशोधित आरक्षण आदेश और 11 जून को लागू नई व्यवस्था को चुनौती भरा पाया, क्योंकि इससे कुछ सीटें चौथी बार तक आरक्षित हो गईं। इस पर हाईकोर्ट ने पूरे चुनाव को स्थगित कर दिया—जो दो चरणों में 10 और 15 जुलाई को प्रस्तावित थे और 12 जिलों में 47.7 लाख मतदाताओं को प्रभावित करता था । सरकार ने हिमाचल उदा. हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में नए चुनाव कराने की इच्छा जताई है।
इस तरह, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों, प्रवासी मतदाताओं एवं आरक्षण नीति के उल्लंघन को लेकर चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कड़ा रुख अपनाया है।