उत्तराखंड सौर ऊर्जा नीति 2013 के तहत वर्ष 2019‑20 में चयनित 12 फर्मों को प्रदेश में सोलर प्रोजेक्ट्स लगाने का आवंटन किया गया था। इनमें प्रमुख कंपनियों जैसे PPM Solar Energy, AR Sun Tech, पूष्पुति सोलर एनर्जी, दून वैली सोलर पावर सहित कई शामिल थीं। लेकिन पिछले दिनों उरेडा द्वारा इन परियोजनाओं की समय‑सीमा बढ़ाने का औचित्य स्पष्ट न कर पाने के कारण, नियामक आयोग ने 27 मार्च 2025 को सभी 12 फर्मों के आवंटन रद्द कर दिए थे। अब, इन सभी कंपनियों द्वारा भेजी गई पुनर्विचार याचिका को भी आयोग ने खारिज कर दिया है ।
नियामक आयोग की पीठ—अध्यक्ष एम.एल. प्रसाद एवं सदस्य विधि अनुराग शर्मा—ने पाया कि इन फर्मों ने कोई नया तथ्य प्रस्तुत नहीं किया, जबकि उरेडा और यूपीसीएल के जवाब भी संतोषजनक नहीं थे। स्पष्ट हुआ कि इन फर्मों के पास न तो पूरी जमीन थी, और न ही ऋण या निर्माण की स्पष्ट योजना बन पाई थी ।
इन परियोजनाओं को रद्द करने से कुल लगभग 15.5 मेगावाट क्षमता का नुकसान हुआ है। राज्य की नई सौर नीति 2023 के तहत 2027 तक 2,500 मेगावाट उत्पादित करने का लक्ष्य है, जिसमें यह setback चिंता का विषय है। आयोग ने निर्णय दिया कि देरी होने पर सरकार को पुराने दरों पर बिजली खरीदना पड़ेगा, जो वित्तीय रूप से हानिकारक हो सकता है ।
इस कार्रवाई से पता चलता है कि नियामक पारदर्शिता और समयबद्धता की कसौटी पर खरा उतर रहा है, लेकिन साथ ही यह ऊर्जा परियोजनाओं की तेज और प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता की सख़्त याद दिलाता है।