उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली गांव में हाल ही में आई भीषण आपदा को पहले बादल फटने की घटना बताया गया था, लेकिन वैज्ञानिकों की ताज़ा रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) के वैज्ञानिकों ने घटनास्थल का दौरा कर बताया कि धराली में आई तबाही का कारण बादल फटना नहीं, बल्कि ग्लेशियर के पास की झील का अचानक टूट जाना था।
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लेशियर की तलहटी में बनी एक झील में बर्फ और पानी का जमाव हुआ था, जो अचानक टूट गया और भारी मात्रा में पानी और मलबा नीचे बह गया। इससे क्षेत्र में अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी स्थिति बन गई। इस घटना में कई घर और सड़कें बह गईं, जिससे स्थानीय लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा।
वैज्ञानिकों ने यह भी चेतावनी दी है कि हिमालयी क्षेत्र में इस तरह की झीलें लगातार बन रही हैं और जलवायु परिवर्तन के कारण उनके टूटने का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में राज्य सरकार को निगरानी तंत्र को और मज़बूत करने की जरूरत है।
यह खुलासा बताता है कि हमें आपदा की सतही वजहों से आगे बढ़कर असली कारणों की वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बेहतर बचाव किया जा सके।