वट पूर्णिमा व्रत हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए एक अत्यंत शुभ और पवित्र पर्व माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए किया जाता है। वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा इस व्रत का मुख्य अंग है। 2025 में वट पूर्णिमा व्रत 12 जून, गुरुवार को मनाया जाएगा।
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और उसे धागा बांधकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। व्रत के दौरान सत्यवान-सावित्री की कथा सुनने और सुनाने की परंपरा भी निभाई जाती है। इस कथा के अनुसार, सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लेकर उन्हें पुनर्जीवित किया था, जो इस व्रत का आध्यात्मिक आधार है।
वट पूर्णिमा का पूजन सुबह 4:30 बजे से 8:15 बजे तक शुभ माना गया है। यह व्रत विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पर्व नारी शक्ति, निष्ठा और प्रेम का प्रतीक है, जो भारतीय संस्कृति में स्त्रियों की आस्था और संकल्प का अद्भुत उदाहरण है।