भारत में उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को होने वाला चुनाव राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस चुनाव में एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्षी गठबंधन इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है।
संख्या बल का समीकरण:
लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर कुल 782 सांसद हैं, जिनमें से 391 वोटों की आवश्यकता है। एनडीए के पास 427 सांसदों का समर्थन है, जबकि विपक्ष के पास 355 सांसद हैं। इस प्रकार, एनडीए का पलड़ा भारी दिखता है, लेकिन अन्य दलों और निर्दलीय सांसदों का रुख निर्णायक हो सकता है।
सुदर्शन रेड्डी की अपील:
सुदर्शन रेड्डी ने सांसदों से अपील की है कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश की लोकतांत्रिक गरिमा और संविधान की रक्षा के लिए मतदान करें। उन्होंने यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति का पद राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक है।
एनडीए की रणनीति:
एनडीए ने सी.पी. राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित करने के लिए व्यापक रणनीति बनाई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सांसदों के लिए विशेष डिनर का आयोजन और अन्य दलों से समर्थन जुटाना शामिल है।
इस चुनाव में केवल संख्या बल ही नहीं, बल्कि नैतिक बल और विचारधारा का भी महत्वपूर्ण स्थान है। सभी की निगाहें इस चुनाव पर टिकी हैं, जो भारतीय राजनीति के भविष्य की दिशा तय करेगा।