नैनीताल की विश्व प्रसिद्ध नैनीझील सहित आस-पास की झीलों एवं नदियों का पानी सीधे पीने योग्य नहीं बचा है। हाल ही में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) द्वारा की गई जांच में नैनीझील, भीमताल, नौकुचियाताल और सातताल झीलों के साथ शिप्रा, गौला, कोसी और सरयू नदियों के सैंपल बी‑ग्रेड प्रदूषित पाए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसमें रासायनिक और जैविक संदूषक होने की संभावना है, तथा ऐसे पानी का इस्तेमाल केवल सिंचाई या औद्योगिक कार्यों में ही संभव है।
इसके अतिरिक्त, नैनीझील का जलस्तर हाल के वर्षों में न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया है—इसे पांच वर्षों का सबसे नीचे स्तर, लगभग 4.7 फीट रिपोर्ट किया गया है—जो पेयजल संकट की चेतावनी जगाता है। घटते स्तर और प्रदूषण का संयोजन पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों दृष्टियों से चिंता का विषय है। उच्च न्यायालय और NGT ने भी इस पर संज्ञान लिया है, और जल संस्थान एवं PCB को शीघ्र सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं ।
स्थानीय प्रशासन एवं जल संस्थान अब जल उपयोग पर नियंत्रण, सफाई अभियान और निर्माण कार्यों पर रोक जैसे कदम उठा रहे हैं, ताकि इस प्रतिष्ठित झील की स्वच्छता और पुनरुद्धार सुनिश्चित किया जा सके ।